तीनों पार्षदों का दावा- हवा में हुआ निष्कासन, पक्ष जाने बगैर की गई कार्रवाई
Today Betul News (बैतूल)। जिले के चर्चित आठनेर नगर परिषद में 6 माह पूर्व हुए निकाय चुनाव में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की वोटिंग के दौरान भाजपा के पक्ष में मतदान करने पर कांगे्रस ने तीन पार्षदों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इस मामले में चौकाने वाली बात सामने आई है कि निष्कासित किए गए तीनों ही पार्षदों को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से कोई भी नोटिस न तो वाट्सएप और न ही घर के पते पर मिला है। ऐसे में पार्षदों के निष्कासन पर खुद प्रदेश कांग्रेस के जिम्मेदार घिरते नजर आ रहे हैं। तीनों पार्षदों ने अपने पर की गई कार्रवाई को एक तरफा बताते हुए कई सवाल उठाए हैं। इसके बाद तीनों पार्षदों का मामला विवादों में घिरता नजर आ रहा है।
नगर परिषद आठनेर में 6 माह पूर्व अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुने जा चुके हैं। इसके बाद बैतूल विधानसभा के अंतर्गत आने वाले इस नगर परिषद में तीन पार्षद रीता प्रदीप झोड़, प्रियंका सुनील राठौर और रंजीता परेश मगरदे पर भाजपा की अध्यक्ष प्रत्याशी को वोट देने के आरोप लगे। पूरे 6 माह बाद यह मामला अचानक सामने आया और मीडिया के जरिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन उपाध्यक्ष राजीव सिंह द्वारा इन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। जवाब न देने की स्थिति में कार्रवाई करने का पत्र मीडिया में भी जमकर वायरल हुआ, लेकिन सांझवीर टाईम्स की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि प्रदेश कांग्रेस के संगठन प्रभारी द्वारा यह पत्र जिला कांग्रेस अध्यक्ष और स्थानीय विधायक को तो भेजा गया, लेकिन तीनों पार्षदों को पत्र मिला ही नहीं। इस बात की पुष्टि तीनों ही पार्षदों ने की है।
नोटिस के बिना जवाब देने का सवाल ही नहीं
एक और बात चौकाने वाली सामने आई है कि तीनों पार्षदों प्रदेश कांग्रेस द्वारा नोटिस दिया ही नहीं गया और दूरभाष या मोबाइल पर उनका पक्ष जानने का प्रयास नहीं किया गया। पहले भी मीडिया और निलंबन की जानकारी भी पार्षदों को मीडिया के जरिए ही मिली। उनके स्थानीय पते पर भी न तो कोई कोरियर और न ही पोस्ट आफिस से प्रदेश कांग्रेस का नोटिस मिला है। पार्षदों ने नोटिस नहीं मिलने के कारण जवाब भी नहीं दिया। खुद पार्षद पशोपेश में थे कि जब नोटिस उन्हें मिला ही नहीं तो जवाब कैसे दें। ऐसी स्थिति में प्रदेश कांग्रेस के जिम्मेदारों के अलावा तीन पार्षदों को नोटिस दिलवाने वाले वे कांग्रेस नेता भी विवादों में घिर गए हैं जो कांग्रेस को अंदर ही अंदर कमजोर करने पर तूले हैं।
निष्कासित पार्षदों ने खड़े किए सवाल
इस मामले में सांझवीर टाईम्स ने निष्कासित पार्षदों से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया तो उन्होंने भी कई सवाल खड़े किए है। पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष और पार्षद रीता प्रदीप झोड़ का कहना है कि उन्हें इस तरह का कोई नोटिस ही नहीं मिला। एक अन्य पार्षद प्रियंका सुनील राठौर का कहना है कि उन्हें न तो नोटिस मिला है और न हीं किसी तरह की जानकारी। केवल मीडिया से ही इस बारे में सूचना मिली है। जिस तरह उनका निलंबन बिना पक्ष जाने किया है, यह सरासर गलत है। उन्होंने बताया कि चुनाव में वार्ड नंबर तीन से बैतूल विधायक निलय डागा के प्रतिनिधि तरूण मानकर की पत्नी बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ी। प्रियंका राठौर के खिलाफ कांग्रेस के पोलिंग सेक्टर प्रभारी रवि अड़लक की पत्नी चुनाव लड़ी, लेकिन दोनों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
उन्होंने सवाल खड़े किए कि यदि कांग्रेस में निष्पक्ष कार्रवाई होती है तो इन दोनों को भी पार्टी से निलंबित करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि जनपद अध्यक्ष के चुनाव में भी विधायक प्रतिनिधि कमल पटेल ने भाजपा के पक्ष में वोटिंग करवाकर कमलेश सोलंकी की पत्नी को उपाध्यक्ष बनवाया। उन्होंने आरोप लगाया कि वे खुद उपाध्यक्ष के लिए चुनाव में खड़ी हुई तो उनके खिलाफ क्रास वोटिंग करने वाले दो अन्य पार्षादों पर भी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही। नियम से इन पर भी कार्रवाई होना चाहिए। तीसरी निष्कासित पार्षद रंजीता परेश मगरदे ने भी कहा कि बिना नोटिस और पक्ष जाने कार्रवाई की गई है। यदि हमने गलत किया है तो विधायक प्रतिनिध द्वारा चुनाव में उनकी पत्नी को खड़ा करने पर कार्रवाई की जानी चाहिए थी।
कांग्रेस में दो अध्यक्ष, फिर भी प्रतिलिपी में कमेटी का उल्लेख
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन प्रभारी और उपाध्यक्ष राजीव सिंह द्वारा 31 जनवरी को पत्र क्रमांक 193/23 में जो उल्लेख किया गया है, यह भी विवादों में घिर गया है। दरअसल पार्षदों के निष्कासन के संबंध में जो प्रतिलिपी भेजी गई है, इसमें जिला प्रभारी सविता दीवान, बैतूल विधायक निलय डागा और जिला कांगे्रेस कमेटी जिला अध्यक्ष सुनील शर्मा का नाम उल्लेखित किया गया है। संगठन प्रभारी को यह भी नहीं पता है कि बैतूल में जिला कांग्रेस शहर और ग्रामीण अध्यक्ष की नियुक्ति हो चुकी है। यहां पर कमेटी पूर्व में ही भंग की जा चुकी है। ऐसे में उनके पत्र पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि जिला प्रभारी के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी नोटिस देने के पूर्व कोई सूचना नहीं दी गई है।