
Tiger Ka Shikar : फॉलोअप-सारनी। (कालीदास चौरासे) उत्तर वन परीक्षेत्र सारणी रेंज में बाघ के शिकार की पुष्टि कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी मध्यप्रदेश द्वारा जारी प्रेस नोट से हो गई है। पहले यही स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि शिकारियों ने बाघ का शिकार बैतूल, छिंदवाड़ा या होशंगाबाद में किया है। लेकिन सहायक वन संरक्षक वन्य प्राणी कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा जारी प्रेस नोट में बैतूल के जंगल में बाघ का शिकार होने का उल्लेख किया गया है। गौरतलब है कि शिकारियों को जब एसटीएफ और एसटीआर की संयुक्त टीम द्वारा शिकार का स्थान पूछा और अपने साथ जंगल मे ले गए। तब भी शिकारियों ने असीरगढ़ के जंगल में शिकार करना बताकर जांच अधिकारियों को उक्त स्थान पर ले गए। लेकिन जहां बाघ का शिकार किया गया था। वहां कुछ भी ऐसा सबूत नहीं मिला। जिससे जांच अधिकारी संतुष्ट हो सके। बताया जा रहा है कि शिकार बारिश के मौसम में किया गया है। इसीलिए बाघ के अवशेष बरसात के पानी के साथ बहने से इनकार नहीं किया जा सकता। बहरहाल वन विभाग से जारी प्रेस नोट से यह तो स्पष्ट हो गया है कि बाघ के शिकार और तस्करी में अभी और कई नाम सामने आने से इंकार नहीं किया जा सकता।
पहली गिरफ्तारी छिंदवाड़ा में हुई
टाइगर के शिकार मामले में पहली गिरफ्तारी 12 जनवरी को हुई। छिंदवाड़ा जिले के दमुआ तहसील के ग्राम भाखरा से एक व्यक्ति को वन्य प्राणी बाघ की खाल समेत गिरफ्तार कर वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। वन्य प्राणी मुख्यालय द्वारा प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण की अग्रिम विवेचना के लिए इस टाइगर स्ट्राइक फोर्स की इकाई नर्मदा पुरम को प्रकरण स्थानांतरित किया गया। इसके बाद 17 जनवरी को जनपद पंचायत जुन्नारदेव जिला छिंदवाड़ा से सरपंच को गिरफ्तार कर अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की गई। निशानदेही पर 22 जनवरी को तीन और आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया। अब तक इस प्रकरण में पांच गिरफ्तारी हो चुकी है। इन पांच गिरफ्तारी ओं में एक पूर्व जनपद सदस्य और सरपंच भी शामिल है।
बाघ की मौजूदगी वाले स्थान से हो रहा अवैध रेत उत्खनन
बैतूल जिले में सर्वाधिक बाघ समेत अन्य वन्य जीवों की मौजूदगी उत्तर वन परिक्षेत्र सारनी रेंज में बनी रहती है। एक-दो नहीं, बल्कि कई बार बाघ की मौजूदगी के प्रमाण सारणी और आसपास के जंगलों में मिले हैं। दो बार तो बाघ को ट्रेंकुलाइज कर वनविहार ले जाया गया। इसके अलावा दुनिया की सबसे छोटी बिल्ली, विलुप्त होते चमगादड़, तेंदुए और संरक्षित प्रजाति के कई वन्य जीवो की मौजूदगी सारणी रेंज में मिली है। बावजूद इसके इस रेंज के लोनिया, खैरबानी, शोभापुर नांदिया घाट, छतरपुर और चोपना क्षेत्र की नदियां, जहां पर जंगली जानवर अक्सर अपनी प्यास बुझाने आते हैं। वहां से बेख़ौफ़ अवैध रेत उत्खनन कर परिवहन हो रही है। खास बात यह है कि इसकी जानकारी वन, खनिज विभाग के अलावा पुलिस प्रशासन को है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर यह सभी जिम्मेदार विभाग खानापूर्ति कर रहे हैं। जिसके चलते आए दिन जंगली जानवरों को शिकार के रूप में अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। समय रहते वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस प्रकरण में कमेटी बनाकर जांच नहीं कराई गई तो आगे और भी बाघ जैसे वन्यजीवों का शिकार होने से इनकार नहीं किया जा सकता।