Sarni PowerHouse Scrap Kand : (कालीदास चौरासे) सारनी। बहुचर्चित स्क्रैप कांड मामले रोज नए खुलासे हो रहे हैं। जैसे जैसे खुलासे हो रहे हैं। वैसे वैसे कार्रवाई का दायरा भी बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, मामले में नए मोड़ भी आ रहे हैं। वहीं मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी की कार्रवाई से अभियंताओं में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल स्क्रैप का वेट करने वाले तौल कांटे में सामने आई गड़बड़ी ने पॉवर हाउस सारनी प्रबंधन से लेकर मुख्यालय जबलपुर तक अधिकारियों को अचरज में डाल दिया। कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक सभी यह सोच में पड़ गए हैं कि क्या ऐसा भी संभव है। गड़बड़ी सामने आते ही मुख्यालय जबलपुर से गठित 7 सदस्यी टीम द्वारा दो दिनों तक जांच की। टीम के सारनी में रहते ही 4 बिजली कर्मियों को पॉवर हाउस प्रबंधन द्वारा सस्पेंड कर दिया गया। वहीं सीएचपी के डीई त्रिपाठी को सीई ऑफिस अटैच कर दिया। इस कार्रवाई के अगले ही दिन यानी कि जांच टीम के मुख्यालय पहुँचते ही दो और अभियंताओं को सस्पेंड कर दिया गया। रात होते तक खबर आई कि सुरक्षा अधिकारी वीके कनोजिया का सारनी से स्थानांतरण कर दिया गया। जबकि सारनी का कार्यभार एसके राघव को सौंप दिया गया। इसी तरह सस्पेंड किए गए सहायक अभियंता से लेकर सीएचपीके अभियंताओं को मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी द्वारा अलग-अलग स्थानों पर तबादला कर दिया गया। यह आदेश पावर हाउस सारणी में पहुंचते ही अभियंताओं में हड़कंप मच गया।
क्या है पूरा मामला, यहां समझे (Sarni PowerHouse Scrap Kand)
पॉवर हाउस के सीएचपी तौल कांटा है। यहां स्टोर से भरे स्क्रैप का मयवाहन तौल हुआ। ट्रक क्रमांक-केए01-एएच 7710 का वजन 6310 किलोग्राम था। जबकि इसमें 9750 किलोग्राम स्क्रैप भरा। अब ट्रक का कुल भार 16060 किलोग्राम हुआ। यही वजह तौल कांटे पर आया। जिसकी बिल्टी पर संबधित अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर कर ट्रक को बाहर किया। भार होने के बाद ट्रक पॉवर हाउस के गेट नंबर 7 पर पहुचा। जहां ट्रक में भार की स्थिति संदिग्ध प्रतीत हुई। जिसका दोबारा वजन कराने पर तीन अलग-अलग कांटों पर ट्रक का भार 16060 के स्थान पर 29 टन से ज्यादा आया। इससे स्पष्ट हो गया कि तौल कांटे नियंत्रित कर अधिक वजन को भी कम कर कंपनी के साथ हेराफेरी की जा रही थी। इसके बाद ही कार्रवाई और तबादलों का सिलसिला शुरू हुआ।
ऐसे हुआ खुलासा
हमेशा की तरह इस बार भी प्लांट के स्क्रैप का टेंडर हुआ। जो कर्नाटक की भारत स्टील ट्रेडर्स कंपनी को मिला। इस कंपनी ने बहुत ही कम दर पर काम लिया। इतनी कम दर पर काम लोकल के ठेकेदार भी नहीं कर पा रहे थे। टेंडर मिलते ही कंपनी द्वारा एक पखवाड़ा पहले काम शुरू किया। 21 मार्च को ट्रक क्रमांक-केए01-एएच 7710 में स्क्रैप लोड कर कांटे पर तौल हुआ। 6 चके ट्रक में स्क्रैप लोड कर जैसे ही 7 नंबर गेट पर लाया। वैसे ही लोकल के ठेकेदार की ट्रक पर नजर पड़ी। संदेह होने पर इसकी शिकायत बैतूल और सारनी थाने में कई गई। टीआई ने मामले को गंभीरता से लेकर जांच कराई तो 16 टन के बजाय ट्रक में 29 टन भार निकला। इसकी पुष्टि के लिए टीआई द्वारा पहले डब्ल्यूसीएल तौल कांटा, फिर प्राइवेट तौल कांटा पर वजन कराया। आखिरी में सीएचपी में भार कराया। यहां भी 29 टन ही भार निकला और इस तरह मामले का खुलासा हुआ।
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स्क्रैप कांड में अब आया नया मोड़
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्नाटक की भारत स्टील ट्रेडर्स कंपनी को कम दर पर काम दिलाना। फिर लोकल के ही व्यक्ति के जरिए हेराफेरी कराकर कंपनी को लाखों, करोड़ों की चपत लगाई जा रही थी। बहरहाल इस मामले में उक्त अधिकारी को कंपनी ने चलता कर दिया। लेकिन इसके पीछे के मास्टर माइंड की भूमिका अभी भी संदेहास्पद है। अब देखना यह है कि पुलिस और पॉवर हाउस प्रबंधन कार्रवाई करती है या फिर अभयदान देकर मामले को रफादफा कर देगी। दरअसल इस स्क्रैप कांड में उक्त अधिकारी और व्यक्ति की सीधी एंट्री से नया मोड़ आ गया है।
इन्हें मिला है अभयदान
सतपुड़ा पावर प्लांट के कर्मचारी से लेकर मुख्य अभियंता तक, सभी का स्थानांतरण सामान्य प्रक्रिया के तहत होते रहता है। लेकिन पावर हाउस सारनी में ही एक ऐसे अधिकारी है। जिनका तबादला सारनी से कभी कहीं नहीं हुआ। इन्हें मानों ऊर्जा विभाग का अभयदान प्राप्त हो। हालही में सामने आई गड़बड़ी के बाद कंपनी ने सीएचपी में पदस्थ सहायक अभियंता अभियंता तक सभी का तबादला कर दिया है पर अधीक्षण अभियंता एसएन सिंह पर इसकी आंच तक नहीं आई। इसकी वजह भी बताई जा रही है कि यह शख्स एमडी के ज्यादा करीबी है। इसीलिए इनकी तरफ तबादला करने वालों से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक किसी की नजर नहीं जाती। जबकि कहा जा रहा है कि इन्होंने अपनी पूरी नौकरी सारणी में पदस्थ रहते ही कर ली। इनके सामने ना जाने कितने चीफ इंजीनियर आए और चले गए पर इन पर कभी आंच नहीं आई। अब देखना यह है कि सीएचपी में हुए स्क्रैप कांड के बाद प्रमुख सचिव ऊर्जा इन्हें इसी जिम्मेदारी पर रखते हैं या इन्हें भी स्क्रैप कांड का इनाम तबादला कर देते हैं?