
बैतूल। मां ताप्ती शिव महापुराण कथा (Pradeep Mishra Katha Live) के पांचवे दिन की कथा शुरु हो गई है। आप यहां पर कथा का सीधा प्रसारण देख एवं सुन सकते है।
चौथे दिन की कथा के बाद अचानक दिखी शिवलिंग जैसी आकृति, बाबा ने दिए साक्षात दर्शन
बैतूल। बैतूल के कोसमी क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा के मुखारबिन्द से चल रही ताप्ती शिव पुराण कथा के दौरान गुरुवार शाम बड़ा चमत्कार देखने को मिला। शिवपुराण खत्म होने के बाद अधिकांश श्रद्धालु लौट गए थे। केवल बाहर से आये श्रद्धालु यहां मौजूद थे। इसी दौरान कुछ श्रद्धालुओं ने कथा स्थल पर लगाए गए टेंट के ऊपर देखा तो होश ही उड़ गए। दरअसल टेंट के ऊपर शिवलिंग की आकृति उभर आई थी।
यह आकृति कहां से आई, किसी को भी नहीं पता, लेकिन जैसे ही यह जानकारी टेंट में रुके हजारों श्रद्धालुओं को लगी तो वे उस स्थान पर एकत्रित हो गए। देखते ही देखते श्रद्धालुओं ने यहां भजन- कीर्तन शुरू कर दिया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु काफी देर से इसे भगवान शिव का चमत्कार बताकर भजन में लगे है। यह जानकारी अन्य लोगों को भी लगने पर कथा स्थल पहुँचने का सिलसिला जारी है।
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नीचे वीडियों में देखें बारिश पर भारी पड़ी आस्था..
बड़ा विचित्र है बैतूल (Pradeep Mishra Katha Live)
बैतूल में बारिश-कीचड़ के बाद लाखों श्रद्धालुओं को कथा श्रवण के पंडाल एवं कथा स्थल पर देखकर पं. मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra Katha Betul)ने कहा कि मैंने सुना है कि बैतूल बड़ा विचित्र है। यहां हाथ जोड़कर भी न्यौता देकर धार्मिक आयोजन में बुलाये, गाड़ी लगावे तब भी लोग नहीं जाते। बैतूल के इतिहास में यह पहली कथा है जब लोगों को कथा में कीचड़ की वजह से आने से मना करने पर भी एक किमी दूर गाड़ी खड़ी कर लोग पैदल-पैदल पहुंच रहे है। लाखों श्रद्धालु कथा तत्व को ग्रहण कर रहे है।

आयोजन समिति एवं यहां के लोगों द्वारा कथा स्थल पर श्रद्धालुओं के अनुकूल परिस्थितियां बनाने की जा रही मेहनत की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इतना तो लोग अपनी शादी में मेहनत नहीं करते जितनी व्यवस्था यहां कर रहे है। उन्होंने कहा कि भक्ति का बल प्रबल होना चाहिए भगवान अपने दरवाजे पर बुला ही लेते है।

देवताओं ने अमृत पिया और महादेव ने विष
माता ताप्ती की कथा सुनाते हुए पं. मिश्रा (Pradeep Mishra Katha Live) ने कहा कि माता ताप्ती ने सात वर्ष की आयु में तप के प्रभाव को समझ लिया था। उन्होंने महादेव का तप किया और भद्रकाली से ताप्ती हो गई। माता ने तप से भगवान शिव को प्रसन्न किया और शिवजी से सुंदर स्वरुप मांगा। उन्होंने कहा कि भगवान शिव के जैसी शीतलता करुणा, दया और वात्सल्यता किसी और में नहीं होगी। सारे देवताओं ने अमृत पिया और महादेव के पास विष भेज दिया। जो अमृत पिये वह देव और जो विष पिये वह महादेव कहलाता है।

माता ताप्ती, पूर्णा, यमुना, यम, शनिदेव और भद्रा की कथा बड़े ही रोचक अंदाज में उनके द्वारा कही गई। किस तरह भद्रा ने ताप्ती और पूर्णा को वर दिया वह वृतांत सुनाया। उन्होंने बताया कि कार्तिक महीने में यम द्वितीया के नि यमुना में स्नान करने से और कार्तिक चतुर्थी पर ताप्ती में स्नान करने से सात जन्मों तक भाई-बहन सुखी रहते है।