
Pardeep Mishra Betul Katha Live: मध्यप्रदेश के बैतूल में चल रही प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा (Pardeep Mishra ) के मुखारबिंद से मां ताप्ती शिव महापुरण की कथा का आज चौथे दिन की कथा शुरू हो चुकी है। कथा का आयोजनन कोसमी फोरलेन स्थित किलेदार गार्डन में किया जा रहा है। कथा वाचक पंडित मिश्रा की तीसरे दिन की कथा बुधवार को हुई थी, जिसमें दूसरे दिन से भी ज्यादा करीब 2 लाख से अधिक श्रोताओं का जनसैलाब उनकी कथा सुनने के लिए उमड़ था। आज गुरूवार को उनकी कथा का चौथा दिन है। रोजाना दोपहर एक से चार बजे तक उनकी कथा हो रही है। (Pardeep Mishra Betul Katha Live)
यहां लाइव सुने चौथे दिन की मां ताप्ती शिवपुराण की कथा
यहां देखें तीसरें दिन की कथा के बाद बारिश का नजारा ( Pandit Pradeep Mishra Live Katha)
लाल धागे में रुद्राक्ष सीहोर वाले महाराज का नहीं, महादेव का चक्कर है- पं. प्रदीप मिश्रा, कथा के तीसरे दिन भी उमड़ा शिवभक्तों का जनसैलाब

बैतूल। कोसमी फोरेलन शिवधाम में चल रही मां ताप्ती शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन पंडित प्रदीप मिश्रा ( Pandit Pradeep Mishra Live Katha Day-03) ने व्यासपीठ कथा वाचन शुरु किया। कथा स्थल पर अभी भी कीचड़ पूरी तरह सूखा नहीं है, बावजूद इसके श्रद्धालुओं का उत्साह बरकरार है। हर दिन कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। आयोजन समिति के, स्वयं सेवक, विभिन्न संगठन, व्यवसायी, व्यापारी, जनप्रतिनिधि कथा स्थल पर पहुंचकर व्यवस्थाएं बनाने में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है।
बैतूल में चल रही कथा का आस्था चैनल पर लाईव प्रसारण चल रहा है, जितने श्रद्धालु प्रत्यक्ष रुप से कथा सुन रहे है उससे अधिक संख्या में लाईव प्रसारण को श्रद्धालु देख-सुन रहे है। सीहोर वाले पंडित मिश्रा के मुखारबिंद से कथा ( Pandit Pradeep Mishra Live Katha Day-03) सुनने पहुंच रहे लाखों श्रद्धालु रात में पंडाल में भी भजन-कीर्तन कर रहे है। कथा के तीसरे दिन भी अथाह जनसैलाब कथा स्थल पर मौजूद है।
मुक्ति पाना और मोक्ष पाना अलग बात
पं. मिश्रा ने व्यासपीठ से मां ताप्ती शिव पुराण कथा का वाचन करते हुए कहा कि मुक्ति पा लेना और मोक्ष पाना अलग बात है, मुक्ति पाना मतलब एक योनी से निकलकर दूसरी योनी से तीसरी से चौथी योनी में पहुंचने को मुक्त होना कहा गया है। मोक्ष एक योनी को प्राप्त करने के बाद दूसरी किसी योनी में जाना ही न पड़े। जितने भी संसार के बंधन है उनसे हम मुक्त हो जाए। फिर इस जन्म में या अगले जन्म में हमारा कोई जन्म ही न हो यह मुक्ति है।

एक बच्चे को यदि माता पिता स्कूल भेजते है, तो यह ध्यान रखते है कि मेरा बच्चा स्कूल से आएगा, उसका इंतजार करते है। जैसे माता-पिता स्कूल भेजते है और उसके वापस आने का इंतजार करते है, उसी तरह परमात्मा माता के गर्भ में हमें भेजता है, जन्म देता है और भरोसा करता है कि मेरा बच्चा वापस आएगा, यह उसका विश्वास है, यह उसकी दृढ़ता है।
बच्चों को स्कूल में किताबों की जरुरत पड़ती है और मृत्युलोक में वेद-पुराण की। जब आपको समय मिला करें तब प्रयास करों कि पुराण, वेद, शास्त्र, भगवतनाम,मंत्रजाप, गीता का अध्ययन करें। जब मंत्रमाला, भगवत स्मरण में लग जाएंगे तो परमात्मा की दृष्टि खुद पड़ जाएगी। गले में सोने की चैन होगी तो चोर की नजर जरुर होगी, यदि सुंदर हो तो लुच्चों की नजर होगी, यदि आपके अंदर भगवान विराजमान है, भक्ति में लगे हो तो भोलेनाथ की नजर जरुर पड़ेगी।
लाल धागे में रुद्राक्ष सीहोर वाले महाराज का नहीं, महादेव का चक्कर है
जिसकी जहां रिश्तेदारी होती है उसके लिए वहां से पत्र जरुर आता है। कोई कोई व्यक्ति ऐसा होता है जिसकी परिवार में रिश्तेदारी अच्छी नहीं होती और मोहल्ले में होती है। वह परिवार की शादी छोड़ेगा और मोहल्ले की शादी में शामिल होगा। यदि किसी सत्कर्म, सत्संग, भगवतकथा में गए है तो समझ लो कि आपकी देवाधिदेव से रिश्तेदारी अच्छी है। तपबल की परिभाषा-ब्यूटीपार्लर में जाकर वह सुंदरता नहीं मिल सकती, जो महादेव के दरवाजे पर जाकर मिल सकती है। लाल, कत्थई, पीला, नीला रंग लगाने से वह सुंदरता नहीं मिल सकती जो मस्तक पर त्रिकुंड लगाने से मिलती है।

एक बार गले में ढेरो सोने के हार पहन लो उसके उपर लाल धागे में एक रुद्राक्ष लगाकर रख लो, सोने पर दृष्टि किसी की जाएगी या नहीं पर रुद्राक्ष दृष्टि जाएगी और वह पूछ ही लेगी क्यों कहां से लाएगी। कोई तो कह देगी तू भी कहा सीहोर वाले महाराज के चक्कर में पड़ी है। उसको कह देना सीहोर महाराज का चक्कर नहीं ये महादेव का चक्कर है, उनका स्वरुप है, उनका प्रसाद है। मुख की शोभा भगवत नाम में है ऊं नम: शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं आप जितना गुनगुनाओं, जाप, कीर्तन करोंगे भजन का बल बढ़ता चला जाएगा मुख की शोभा बढ़ती चली जाएगी।
मंदिर में हम स्वयं को सुधार लेंगे, मकान में आप संभाल लेना भोलेनाथ
मंदिर में कहीं नहीं लिखा धूम्रपान मत करों, छल मत करों, प्रपंच मत करों फिर भी हम मंदिर में हम खुद को कंट्रोल कर लेते है, मंदिर में थे तब तक कोई गलत काम नहीं किया, गाली नहीं दी, झूठ नहीं बोला, प्रपंच, छल नहीं किया, पर मंदिर से मकान में पहुंचे तो कपट, बेईमानी, धुम्रपान, झूठ बोलना शुरु कर दिए। मंदिर में हम अपने मन को संभाल लेते है, जिव्हा, चित को संभाल लेते है, अपने आप को संभाल लेते है। अब जब मंदिर जाओ तो भोलेनाथ से कह देना कि मंदिर में हम अपने आप को संभाल लेंगे मकान में आकर आप संभाल लेना कि हमसे कोई गलत काम मत करवाना। पेट भरने ज्यादा मिल रहा है तो समझना की यह परमात्मा की कृपा है, यह आगे के जीवन को सुधारने के लिए है, भगवान हमें पूर्व में किए पुण्य का फल अब दे रहा है।
Credit- @panditpradeepmishraofficial
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