
Pardeep Misha Live Katha Betul: प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा (Pardeep Misha Shivpuran Live Betul ) की मां ताप्ती शिव महापुराण कथा आज बैतूल में तीसरें दिन शुरु हो चुकी है। कथा कोसमी फोरलेन स्थित किलेदार गार्डन में यह भव्य आयोजन किया जा रहा है। कथा वाचक पंडित मिश्रा की दूसरे दिन की कथा मंगलवार को हुई थी, जिसमें सवा लाख से अधिक श्रोताओं का जनसैलााब उनकी कथा सुनने के लिए उमड़ पड़े। आज बुधवार को उनकी कथा का तीसरा दिन है। रोजाना दोपहर एक से चार बजे तक उनकी कथा हो रही है। (Pardeep Misha Shivpuran Live Betul)
गीली जमीन पर बैठकर लाखों श्रद्धालुओं ने सुनी दूसरे दिन की कथा

pandit pradeep mishra katha Betul: बैतूल। श्री ताप्ती शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन भी लाखों श्रद्धालुओं ने गीली जमीन पर बैठकर कथा श्रवण की। कथा श्रवण के लिए श्रद्धालुओं की लगन और दृढ़ता को देखते हुए पं. मिश्रा ने कथा की शुरुआत में कहा कि बैतूल वालों की भक्ति इतनी प्रबल है कि मां ताप्ती यहां तक आ गई। पांचों यजमानों ने मां ताप्ती को आमंत्रण दिया था, फिर वे कैसे नहीं आती। कल जैसे भगवान ने वर्षा की वैसी ही कृपा आप सभी पर देवाधिदेव करते रहे। उन्होंने कहा कि पूरी समिति जो इस कथा को संभाल रही है, उसमें बैतूल का एक-एक बच्चा शामिल है, सबने पूरी रात खूब सेवा की। सब दूर पानी-पानी हो गया था।
पुलिस, चिकित्सा, नगर पालिका सहित बैतूलवासियों की मेहनत की वजह से दूसरे दिन कथा हो रही है। हमने तो यजमानों से कह दिया था कि भोलेनाथ जब कराएंगे तब सुन लेंगे आगे की कथा, लेकिन बैतूल वालों का स्नेह, दृढ़ता, भक्ति और विश्वास अटल है और शिवपुराण भी विश्वास की ही कथा है। पं. मिश्रा ने बताया कि भगवान शिव को रामचरित मानस में तुलसीदासजी ने विश्वास कहा है।

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जहां मां ताप्ती का वास वहां के लोगों में विद्वता प्रबल (pandit pradeep mishra katha Betul)
मां ताप्ती के राजा सवर्ण के विवाह की कथा सुनाते हुए पं. मिश्रा ने कहा कि विवाह के बाद राजा सवर्ण अपने राज्य से विमुख हो गए थे, छह महीनों में राज्य में अकाल और भुखमरी का आलम हो गए थे। तब मंत्री ने राजा की खोज की और मां ताप्ती ने मंत्री के माध्यम भोजपत्र पर बनाए एक चित्र के माध्यम से राजा को अपने राज्य की स्थिति से अवगत कराया था। उन्होंने कहा कि बैतूल, मुलताई, सूरत जहां तक मां ताप्ती का वास है वहां के लोगों में विद्वता और उनकी याददाश्त प्रबल रहती है।
सत्संग की महिमा बताते हुए पं. मिश्रा ने कहा कि रावण ने चलते फिरते रास्ते पर ज्ञान प्राप्त किया था, वह एक बार सिकी सत्संग या किसी सदगुरू की शरण में जाकर बैठ जाता तो उसकी लंका भी बच जाती और रावण भी बच जाती। उन्होंने कहा दिल्ली में मकान, आफिस, घर बनाना आसान है, पर किसी के दिल में बैठना कठिन है। गरुु एवं परमात्मा के अंतर को भी उन्होंने बताते हुए कहा कि गुरु और भगवान में एक अंतर है, गुरु संसार छुड़ाकर परमात्मा में लगा देता हे, माला पकड़ा देता है और परमात्मा माल देकर माला छुड़ा देता है। मां ताप्ती का उदाहरण देकर उन्होंने पत्नी के धर्म को लेकर उन्होंने कहा कि पति जहां रखे वहां पत्नी को रहना चाहिए यही पत्नी का धर्म है।
पहले दिन के कथा के बाद हुई जमकर वर्षा
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अगरबत्ती हाथों से छुडा ली जाएगी और मोमबत्ती पकड़ा दी जाएगी (pandit pradeep mishra katha Betul)
लो लोग कहते है कि अगरबत्ती बास में है, एक की जगह चार लगाने वालों से सावधान रहो। बैतूल में लोगों को बहुत भटकाया जाता है। लोग अगरबत्ती हाथ से छुड़ा लेगे और मोमबत्ती पकड़ा देंगे। जो लोग कहते है शिव नहीं है, विष्णु नहीं है, भगवान नहीं है, वह एक दिन कह देंगे तुम्हारा बाप भी नहीं है। अंधा कभी नहीं गिरता क्योंकि उसने छड़ी पकड़कर रखी है, उसी तरह एक महादेव को पकड़कर चलोगे तो कभी नहीं गिरोगे।
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श्रद्धालु के पत्र का किया वाचन (pandit pradeep mishra katha Betul)
व्यासपीठ से पं. मिश्रा ने नागपुर के काटोल क्षेत्र निवासी श्रद्धालु स्वाती डोले के पत्र का वाचन किया। पत्र में बहन के गर्भाश्य में गांठ होने एवं आपरेशन कराने के साथ बड़ी बीमारी के आसार का उल्लेख था। पड़ोसी ने जब स्वाती को पशुपतिनाथ के व्रत के लिए बताया तो स्वाती ने अपनी बहन को व्रत करने के लिए कहा, तीसरे व्रत में जब सोनोग्राफी कराई तो गठान नहीं थी, गठान का स्थान बस रह गया था। उन्होंने कहा कि हम कभी नहीं कहते कि डॉक्टर के पास मत जाओ। डॉक्टर के पास जाओ, जांच कराओ और दवाई खाओ तो भगवान से कहना कि अब तुझे ही संभालना है महादेव।
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Credit: https://www.youtube.com/@panditpradeepmishraofficial