
Pandit Pradeep Mishra Katha Betul:बैतूल। संसार में ऐसा कोई नहीं जन्मा जिसने भगवान ने एक मौका नहीं दिया। पाप से बचने के लिए सतमार्ग और पुण्य की ओर बढऩे के लिए सबको मौका मिलता है। एक मौका महादेव ने अपने को भी दिया है, भगवान का भजन करने के लिए। कुआं, तालाब, सरोवर, बावड़ी, नदी, हेण्डपम्प, कुण्ड, समुद्र सब संचय करने के लिए है। जब प्यास लगे तब हमें कुएं के पास जाना पड़ता है। समुद्र, तालाब, नदी और कुए में अंतर है, कुआं किसी के पास नहीं आता, नदी तालाब, समुद्र आपके पास आता है। कुआं भगवान का भजन है, भगवत स्मरण, नाम का कीर्तन है। आय बढ़ाने के साधन ढ़ूंढने के साथ आयु बढ़ाने के साधन भी ढूंढना पड़ेगा। सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra Katha Betul) ने मां ताप्ती शिव पुराण कथा के छटवे दिन उक्त बातें कहीं। (Pandit Pradeep Mishra Katha Betul)
अपार जनसमुह को आस्था चैनल पर दिखाने का आग्रह
व्यास पीठ से छटवें दिन कथा सुनने पहुंचे लाखों श्रद्धालुओं को पंडित मिश्रा ने आस्था चैनल पर दिखाने का भी कहा। उन्होंने अपार श्रद्धालुओं से कहा कि आप लोग लाखों की संख्या में आए हो, जितने पंडाल के अंदर है, उतने पंडाल के बाहर है और उससे दो गुने इंदौर-नागपुर हाईवे पर बैठे है। पूरी दुनियां की यह पहली ऐसी कथा होगी जो लोग नेशनल हाईवे पर बैठकर लोग सुन रहे है। एलईडी एलसीडी कितना काम करेगी, ग्राउंड, पंडाल तक रोड पर कहां एलसीडी, लगाएंगे। उन्होंने आस्था चैनल से आग्रह किया कि सड़क पर विश्वास से कथा सुन रहे लोगों को जरुर दिखाए, जहां जगह मिल गई वहां बैठकर कथा सुन रहे है। जिसका बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन पर, हास्पीटल, थाने के पास घर होता है उनको बहुत अकड़ होती है तो सोचो महादेव के पास बैठने वाले पंडाल, में भजन में बैठने वाले को कितनी अकड़, कितनी गर्मी होगी। धन, काया, वैभव, सत्ता की गर्मी एक दिन समाप्त हो जाती है पर भजन की गर्मी कभी खतम नहीं होती।
ड्रोन कैमरे से देखें कथास्थल पर शिवभक्तों का अपार समुह

हम परमात्मा को नहीं देख सकते, परमात्मा हमें हर पल देखता है (Pandit Pradeep Mishra Katha Betul)
आपके गले में यदि सोने की चैन पड़ी है, चोर आपको देख ले तो आप इतने लोगों में चोर को नहीं पहचान सकते। चोट्टा खोटी चैन पर हाथ नहीं डालेगा। चोट्टे की नजर सोने की है वह खरे सोने को पहचान लेता है, उसी तरह जब दुनियां में तर्क करने वाले मिलते है, तो तुमकों मार्ग से भटकाते है। कई लोग कहेंगे आज के जमाने में नए तरह के लोग आ गए, नई-नई तरह की बात करेंगे। दिया लगाओ दिल से लगाओ, तर्क करने वाला तर्क कर सकता है। हम चोर को नहीं देख पाते वह हमारे गले की चैन को देख लेता है उसी तरह हम भले ही परमात्मा को नहीं देख पाते पर परमात्मा हमको देख लेता है। एक बार अंगूठा लगा देने से प्रापर्टी हमारी हो जाती है, जरा थम्ब लगा देने से जमीन का टुकड़ा तुम्हारा हो जाता है, केवल एक लोटा जल चढ़ा देने से महादेव तुम्हारा हो जाता है। संसार के लोगों को प्रसन्न करने के लिए आगे मत आओ, भगवान को प्रसन्न करों, जब भगवान पकड़ में आ जाएंगे तो संसार अपने आप पकड़ में आ जाएगा।
पक्षियों से सीखना चाहिए, पक्षी अपना धर्म और भाषा नहीं बदलते (Pandit Pradeep Mishra Katha Betul)
पक्षी अपनी वाणी, शब्द को कभी नहीं बदलता, बैतूल में जैसी कोयल बोलती है वैसी हमारे सीहोर में बोलती है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कोयल एक जैसा बोलती है, शेर, कौआ, मेढ़क एक जैसा बोलता है पर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक केवल इंसान ऐसा है जो न जाने कैसा-कैसा बोल देता है। हमें पक्षियों से भी सीखना चाहिए कि पक्षी अपनी भाषा, अपना धर्म नहीं बदलता, केवल एक मनुष्य ऐसा है जो बार-बार बदल जाता है। कोयल, कौआ, शेर के जीवन में भी कष्ट आते है पर इन्होंने कभी अपनी वाणी को नहीं बदला, सिर्फ मनुष्य पल-पल में अपनी वाणी बदल लेता है।

बेटी का बाप कभी गरीब नहीं होता
भोलेनाथ ने जब संसार में जन्म दिया तब किसी को गरीब बनाकर पैदा नहीं किया, यह तो हमारे कर्म की गति है। जो कहते है कि हम 50 बेटियों की शादी करेंगे उन्हें गरीब की परिभाषा समझने की जरुरत है। चार-चार लाख की किडनी, दो-दो लाख की आंख दे दी। करोड़ों की सम्पत्ति देकर भेजा है भगवान ने। जिस बाप को बेटी बोझ लगती है वह बाप नहीं हो सकती, जिसकी बेटी है करोड़पति है, क्योंकि उसने बेटी के रुप में लक्ष्मी जैसी बेटी पाई है। बेटी का बाप कभी गरीब नहीं होता, बेटी देने वाले ने यदि बेटी दी है तो विवाह भी वह करा देगा, पता भी नहीं चलेगा। भरोसा सब पर करो पर विश्वास महादेव पर करना वह डूबने नहीं देगा।
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