
बैतूल। मां ताप्ती शिव महापुराण कथा (Pandit Pradeep Mishra Katha Betul) के चौथे दिन भी अपार श्रद्धालुओं का समूह कोसमी फोरलेन स्थित शिवधाम पहुंचा। बीती रात हुई बारिश ने दूसरी बार श्रद्धालुओं की फिर कठिन परीक्षा ली लेकिन दूसरी बार भी बारिश पर आस्था भारी पड़ गई। दोपहर में पं. प्रदीप मिश्रा ने कथा का वाचन प्रारंभ किया और उन्होंने श्रद्धालुओं की दृढ़ता, भरोसे की प्रशंसा की। कथा प्रारंभ करते हुए पं. मिश्रा ने कहा कि बैतूल नगर के इस पावन प्रांगण में प्रतिदिन भगवान परीक्षा लेकर शिव महापुराण की कथा सुना रहे है।
अभी भी कथा पंडाल में कीचड़ है यह श्रद्धालुओं की परीक्षा ही है, जो सेवक भगवान की सेवा में लगे है यह उनकी भी परीक्षा है। रात 2.22 मिनट से पानी गिरना चालु हुआ और सुबह तक गिरता रहा, बूंदा-बांदी चालू है उसके बाद भी यह अविरल भक्ति है कि लाखों की संख्या में श्रद्धालु कीचड़, बारिश और पानी में लाखों की संख्या में कथा सुनने पहुंचे। मैं आपकों नमन करता हूं। उन्होंने कहा कि ये आपकी अविरल भक्ति है, भरोसा है, दृढ़ता और विश्वास है मेरा आपकों प्रणाम है। जिस विश्वास के साथ देवाधिदेव महादेव को सुन रहे है मेरा विश्वास है मेरा महादेव आपकी झोली भरकर ही भेजेगा। पं. मिश्रा ने कहा कि प्रेम जब अनंत हो गया तो रोम-रोम संत हो गया, जो भगवान के भजन में डूब जाता है वह स्वयं संत हो जाता है।
नीचे वीडियों में देखें बारिश पर भारी पड़ी आस्था..
बड़ा विचित्र है बैतूल (Pandit Pradeep Mishra Katha Betul)
बैतूल में बारिश-कीचड़ के बाद लाखों श्रद्धालुओं को कथा श्रवण के पंडाल एवं कथा स्थल पर देखकर पं. मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra Katha Betul)ने कहा कि मैंने सुना है कि बैतूल बड़ा विचित्र है। यहां हाथ जोड़कर भी न्यौता देकर धार्मिक आयोजन में बुलाये, गाड़ी लगावे तब भी लोग नहीं जाते। बैतूल के इतिहास में यह पहली कथा है जब लोगों को कथा में कीचड़ की वजह से आने से मना करने पर भी एक किमी दूर गाड़ी खड़ी कर लोग पैदल-पैदल पहुंच रहे है। लाखों श्रद्धालु कथा तत्व को ग्रहण कर रहे है।

आयोजन समिति एवं यहां के लोगों द्वारा कथा स्थल पर श्रद्धालुओं के अनुकूल परिस्थितियां बनाने की जा रही मेहनत की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इतना तो लोग अपनी शादी में मेहनत नहीं करते जितनी व्यवस्था यहां कर रहे है। उन्होंने कहा कि भक्ति का बल प्रबल होना चाहिए भगवान अपने दरवाजे पर बुला ही लेते है।

देवताओं ने अमृत पिया और महादेव ने विष
माता ताप्ती की कथा सुनाते हुए पं. मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra Katha Betul) ने कहा कि माता ताप्ती ने सात वर्ष की आयु में तप के प्रभाव को समझ लिया था। उन्होंने महादेव का तप किया और भद्रकाली से ताप्ती हो गई। माता ने तप से भगवान शिव को प्रसन्न किया और शिवजी से सुंदर स्वरुप मांगा। उन्होंने कहा कि भगवान शिव के जैसी शीतलता करुणा, दया और वात्सल्यता किसी और में नहीं होगी। सारे देवताओं ने अमृत पिया और महादेव के पास विष भेज दिया। जो अमृत पिये वह देव और जो विष पिये वह महादेव कहलाता है।

माता ताप्ती, पूर्णा, यमुना, यम, शनिदेव और भद्रा की कथा बड़े ही रोचक अंदाज में उनके द्वारा कही गई। किस तरह भद्रा ने ताप्ती और पूर्णा को वर दिया वह वृतांत सुनाया। उन्होंने बताया कि कार्तिक महीने में यम द्वितीया के नि यमुना में स्नान करने से और कार्तिक चतुर्थी पर ताप्ती में स्नान करने से सात जन्मों तक भाई-बहन सुखी रहते है।
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