
OMG News: बैतूल। सतपुड़ा के जंगलों में कई औषधीय गुणवत्ता वाले पौधे है जिसे लोग खरपतवार ही समझते है। ऐसे कई औषधीय पौधे है जो वनवासियों के लिए आय का जरिया भी बन सकते है। यहां तक कि हिमालयी क्षेत्रों में पायी जाने वाले औषधीय पेड़-पौधे भी बैतूल के जंगलों में उपलब्ध है, लेकिन जानकारी के अभाव में इनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। ऐसी ही एक बहुमूल्य एवं बहुउपयोगी औषधी है शिवलिंगी जो जिले के जंगलों में खरपतवार की तरह उग रही है। यह औषधी ऑनलाईन बाजार में 184 रुपए में 50 ग्राम और 368 रुपए में सौ ग्राम बेची जा रही है। शिवलिंगी के बीज कई असाध्य बीमारियों में रामबाण है। यही नही बंध्यत्व निवारण में भी यह कारगर है।
जिले में खरपतवार की तरह उग रही शिवलिंगी
जिले के जंगलों, सड़कों किनारे झाडिय़ों पर आसानी से शिवलिंगी की बेल देखी जा सकती है। आम तौर पर बारिश के मौसम में यह बहुतायत में नजर आती है और ठंड के साथ-साथ बेल सूख जाती है। जिले भर में यह खरपतवार की तरह उग रही है, लेकिन हैरत की बात यह है कि वन विभाग के जानकार भी इस बहुमूल्य औषधी से अनभिज्ञ है। शिवलिंगी की बेल हिमालयी क्षेत्रों में भी खरपतवार की तरह ही पाया जाता है, हालांकि कई स्थानों पर इसकी खेती भी की जाती है।
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जाने क्या है शिवलिंगी
शिवलिंगी पेड़ पर चढऩे वाली एक लता है जो बरसात के दिनों में अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है। लता में से बहुत-सी शाखाएं निकलकर चारों ओर फैली होती हैं। इसका तना चिकना, चमकीला तथा शाखाएं सुतली जैसी पतली, धारीदार व रोएंदार होती हैं। इसके पत्ते करेले के पत्ते जैसे, ऊपर से हरे एवं खुरदरे तथा नीचे से चिकने होते हैं। फूल छोटे और हरे-पीले रंग के होते हैं। फल गोलाकार, चिकने, आठ सफेद धारियों से युक्त होते हैं। कच्चे फल हरे रंग के होते हैं जो पकने पर लाल हो जाते हैं। इसके बीज भूरे रंग के तथा शिवलिंग की आकृति के समान होते हैं।

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संतान प्राप्ति के नुस्खों में होता है प्रयोग
हमारे आस-पास खरपतवार के रूप में पाए जाने वाले शिवलिंगी के बीजों के विधिपूर्वक प्रयोग से स्त्रियां गर्भधारण में सक्षम हो जाती हैं। शिवलिंगी का प्रयोग गर्भाशय के लिए एक अच्छा होता है। शिवलिंगी बीज को सदियों से संतान प्राप्ति के लिए अचूक और सफल नुस्खे के तौर प्रयोग किया जाता रहा है। अगर संतानविहीन दंपत्ती शिवलिंग का इस्तेमाल करते हैं तो उनके लिए ये पौधा एक वरदान है। शिवलिंगी स्वाद में कड़वी, पेट के लिए गरम और दुर्गन्ध वाली होती है। यह शरीर के धातुओं को पुष्ट करती है।
यह सभी कुष्ठ रोग को ठीक करने वाली होती है। शिवलिंगी हल्की विरेचक यानी मल निकालने वाली और शरीर को बल देने वाली होती है। इसके फल यौन शक्ति बढ़ाने वाले एवं बलवर्धक तथा बुखार को कम करने वाले होते हैं। शिवलिंगी के बीज लीवर, सांस की बीमारी, पाचन तंत्र आदि के लिए भी लाभदायक होते हैं। ये शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
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