
Nagar Paalika Betul: (बैतूल)। खेड़ी स्थित क्षतिग्रस्त ताप्ती बैराज के एक हिस्से की मरम्मत के काम में नगरपालिका की उलझन बढ़ा दी है। बिना टेंडर के पिछले 21 दिनों से काम किए जाने पर कई सवाल खड़े हो गए है। अलबत्ता कल नगरपालिका के ईई ने दावा किया था कि पिछले वर्ष बारिश के कारण कटाव वाले हिस्से की बही मिट्टी से ही बैराज की मरम्मत का काम किया जा रहा है। इसके उलट जल संसाधन विभाग के कुछ जानकारों ने नगरपालिका के ईई के दावे को पूरी तरह दरकिनार कर दिया। उनका कहना है कि पुरानी मिट्टी इतने दिनों बाद उपयोग करना संभव ही नहीं है। थोड़ी बहुत मिट्टी रहे तो मान लिया जाए, लेकिन क्षतिग्रसत हिस्से में बड़े पैमाने पर मिट्टी डाली गई है तो इसे खोदकर ही लाया गया होगा। यदि ऐसा हुआ तो नगरपालिका ने मिट्टी कहां से खरीदी? इस बात की जानकारी भी न तो अधिकारियों और न नपाध्यक्ष को है।
चौंकाने वाली बात तो यह है कि नपाध्यक्ष इस मामले को गुमराह कर बिना सूचना दिए बैराज के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत बिना टेंडर के कर लिया गया। सूत्र बताते है कि नगरपालिका की जल शाखा पिछले 20-22 दिनों से गर्मी में बैराज का पानी ठहराव के लिए क्षतिग्रस्त के हिस्से की मरम्मत अपने ही मजदूरों से करवा रही है। नगरपालिका का तर्क है कि इस अस्थाई काम के लिए स्वच्छता शाखा के दो ट्रेक्टरों की मरम्मत करवाई जाकर उसका उपयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं मजदूर भी नगरपालिका के है, ताकि पैसा व्यर्थ न लगे। इसके बावजूद सवाल खड़े किए जा रहे है कि ट्रेक्टर में 20 दिनों का डीजल समेत यहां डाली जा रही मिट्टी और अन्य खर्च किस मद से किया जाएगा।
जल शाखा के प्रभारी सब इंजीनियर ब्रजेश खानूरकर इस मामले में गुमराह करने वाली जानकारी दे रहे है। पहले उन्होंने कुछ जानकारी देकर पूरा पल्ला झाड़ते हुए ईई महेशचन्द्र अग्रवाल से जानकारी लेने का कह दिया।लाख टके का सवाल यह है कि नपाध्यक्ष और जल शाखा प्रभारी जल शाखा की सभापति को भी बैराज के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत के लिए भरोसे में नहीं लिया गया। वे 20-22 दिनों से इस हिस्सों को सुधारकर नगरपालिका की जलशाखा के जिम्मेदार बताना क्या चाह रहे यह चौंकाने वाली बात है। हजारों लीटर पानी पहले ही बह चुका है और अभी भी बहना जारी है, इसके बावजूद नगरपालिका के जिम्मेदार भविष्य की योजना गर्मी लगने के बाद बना रहे है, यह बात किसी को हजम नहीं हो रही है।
नपा के दावे की खुली पोल (Nagar Paalika Betul)
कल तक नपा के ईई दावा कर रहे थे कि क्षतिग्रस्त बैराज की मरम्मत के लिए मिट्टी न तो राजस्व की जमीन से उलीची गई और न ही खरीदकर लगाई गई है। उनका कहना था कि पिछले वर्ष जो मिट्टी पानी के बहाव में आगे गई थी उसी को जेसीबी और ट्रेक्टरों के माध्यम से लेकर क्षतिग्रस्त हिससे की मरम्मत की जा रही है। सांझवीर टाईम्स ने उनको दावों की असलियत जानने के लिए जल संसाधन विभाग के जानकारों से चर्चा की तो उन्होंने नपा के अधिकारियों की बात से इंकार कर दिया। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि इतनी पुरानी मिट्टी इतनी मात्रा में संग्रहण नहीं की जा सकती। बिना नई मिट्टी के उपयोग का मरम्मत का काम किया जाना संभव ही नहंी। अधिकारियों की इस बात से नगरपालिका के जिम्मेदारों की भी पोल खुल गई है और पूरा मामला अब जांच के दायरे में आ गया है।
इनका कहना…
मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है कि क्षतिग्रस्त बैराज की मरम्मत का काम किया जा रहा है। मैं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ शीघ्र ही बैराज का निरीक्षण करूंगी, इसके बाद आगे निर्णय लिया जाएगा।
पार्वती बारस्कर, अध्यक्ष, नगरपालिका, बैतूल
मैं नगरपालिका के बही गई मिट्टी का बैराज निर्माण में उपयोग करने के तर्क सेे सहमत नहीं हूं। इतनी मिट्टी निकालना संभव नहीं है, क्योंकि मिट्टी की लेयर पहले ही बह जाता है। ऐसे में मिट्टी दोबारा निकालकर क्षतिग्रस्त बैराज में उपयोग किया जाना संभव नहीं है।
विपिन वामनकर, ईई, जल संसाधन विभाग, बैतूल संभाग