Machna News Betul : (बैतूल)। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि जिला मुख्यालय से होकर गई सदानीरा मां माचना को बचाने के लिए एक पैर से विकलांग होने के बावजूद शहर के सक्रिय समाजसेवी हेमंतचंद्र दुबे (बबलू) ने जी तोड़ कोशिश की। अभियान चलाकर 75 दिनों तक शहर को पालीथिन मुक्त करने का संकल्प लिया, लेकिन प्रशासन और आम नागरिकों पर असर नहीं हुआ। यही कारण है कि उनके अभियान की सार्थक पहल के बावजूद पालीथिन का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। इसी वजह सारे शहर की पालीथिन छोटे नाले के माध्यम से माचना में पहुंच रही है और माचना पूरी तरह चायनीज झालर के साथ पालीथिन से पट गई है।
कहने को तो शहर में एक जीवनदायनी है, लेकिन जब तक इसका उपयोग होता है लोग याद करते हैं, इसके बाद कोई पूछने वाला नहीं है। हर वर्ष 8 से 9 माह कलकल होकर बहने वाली मां माचना की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। पिछले दो वर्ष जिस तरह जीवनदायनी को चायनीज झालर ने जकड़ रखा है, इसके ठोस उपाए आज तक शुरू नहीं हो पाए हैं। नगरपालिका ने जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर इसे मूर्त रूप नहीं दिया। इसी का नतीजा है कि माचना चायनीज झालर के साथ अब पालीथिन से ऐसी ढकी है कि पूरी नदी बीमार सी पड़ गई है।
बबलू ने शुरू की पहल, लेकिन अधिकारियों को नहीं ध्यान (Machna News Betul)
कैंसर फाइटर और समाजसेवा से पूरे जिले में अपनी पहचान बना चुके बबलू दुबे ऐसे शख्स है, जिन्होंने अपनी बीमारी के बावजूद शहर को पालीथिन मुक्त करने के लिए पिछले वर्ष 75 दिनों तक लगातार अभियान चलाया। उन्हें यह अच्छी तरह से मालूम था कि बारिश खत्म होने के बाद जब नदी में थोड़ा बहुत पानी बचेगा, तब शहर से उडऩे वाली पालीथिन नाले एवं नालियों के माध्यम से सीधे जीवनदायनी माचना में मिलेगी। उनके 75 दिन के अभियान में कई जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने भी हिस्सा लिया, लेकिन खेद की बात यह भी है कि अभियान खत्म होते ही अधिकांश लोग खुद पालीथिन का उपयोग कर यहां वहां फेंक रहे हैं।
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नगरपालिका ने पालीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन छोटे से लेकर बड़ी दुकानों में पालीथिन का उपयोग किया जा रहा है। शासकीय नियमों की पूरी तरह से धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बबलू द्वारा आवाज उठाने के बावजूद न तो जिला प्रशासन और न ही नगरपालिका द्वारा पालीथिन के दुरुपयोग पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है। नतीजा यह हुआ कि नाले और नालियों से बहकर फेंकी गई पालीथिन माचना में जा पहुंची और पूरी नदी चायनीज झालर के साथ पालीथिन से प्रदूषित हो गई है।