Jila Aspatal Betul: (बैतूल)। एक तरफ जिला अस्पताल बैतूल पहले ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर यहां पदस्थ डॉक्टरों का मोहभंग हो गया है। दो महीनें में यहां पदस्थ दो डॉक्टर इस्तीफा दे चुके है, इससे अस्पताल में पहले से लडख़ड़ाई व्यवस्था के अब बेपटरी होने से इंकार नहीं किया जा सकता। जिला अस्पताल में वर्क लोड कहें निजी परेशानी लेकिन पिछले दो महीने में जिला अस्पताल में कोरोना रोकथाम एवं नियंत्रण नोडल अधिकारी एवं डॉ सौरभ राठौर एवं चाईल्ड स्पेशलिस्ट डॉ नीलेश धोटे ने इस्तीफा देकर अब प्राईवेट सेक्टर में पैर जमाना शुरु कर दिया है। इन उक्त दोनों डॉक्टर्स को निजी अस्पतालों में करीब दो लाख रुपए सैलरी का ऑफर मिलने के बाद सरकारी नौकरी छोडऩे का निर्णय उनके द्वारा लिया गया है। डॉ सौरभ राठौर लंबे समय से कोराना नोडल अधिकारी के रुप में मोर्चा संभाले हुए थे वहीं डॉ नीलेश धोटे एसएनसीयू में पदस्थ थे। मेडिकल ऑफिसर डॉ राठौर के इस्तीफे से जहां अस्पताल प्रबंधन यह मान रहा है कि यहां एक डॉक्टर और कम हो गया वहीं डॉ नीलेश के इस्तीफे से एसएनसीयू में व्यवस्था गड़बड़ा गई है।
पहले से डॉक्टर एवं स्टॉफ की कमी से जूझ रहा अस्पताल
जिला अस्पताल में न सिर्फ डॉक्टरों एवं विशेषज्ञों की कमी है अपितु अन्य स्टाफ की कमी से भी जिला अस्पताल वर्षों से जूझ रहा है। अस्पताल भवन की नई बिल्डिंग बन गई। पुराने अस्पताल को जमीदोंज कर एक और नया भवन निर्मित कर उसमें भी अस्पताल की अलग-अलग यूनिट शिफ्ट की जा चुकी है। अस्पताल में सुविधाएं और साधन तो पर्याप्त है लेकिन डॉक्टर्स और स्टॉफ की कमी की वजह से मरीजों को सुविधाओं से वंचित रहना पडï़ जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार एक 300 बिस्तरीय अस्पताल के लिहाज से जिला अस्पताल में प्रथम श्रेणी के 31 पद सेक्शन है लेकिन कार्यरत मात्र 11 है और रिक्त पद 20 है। इसी तरह क्लास टू के 15 पदों में से 14 कार्यरत है एवं 4 रिक्त है। क्लास थ्री के लिए जिला अस्पताल में 46 पद स्वीकृत है, 33 कार्यरत एवं 13 रिक्त है इसी तरह चतुर्थ श्रेणी के 58पदों में से 34 कार्यरत एवं 24 रिक्त है। उक्त स्थिति से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल में व्यवस्थाएं किस तरह से मैनेज हो रही है।
निजी सेक्टर में लाभ की वजह से छूटी सरकारी नौकरी
प्राप्त जानकारी के डॉ सौरभ राठौर ने सिविल सर्जन को एक महीने पहले ही नौकरी छोडऩे संबंधी पत्र दिया था। इसके बाद उन्होंने एक फरवरी को अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। फरवरी माह में एसएनसीयू में कार्यरत चाईल्ड स्पेशलिस्ट डॉ नीलेश धोटे ने भी सीएस को नौकरी से इस्तीफा देने के लिए सूचना दी और 10 दिन पहले एक मार्च को उन्होंने भी अपनी नौकरी छोड़ दी। दोनों ही डॉक्टर्स ने सरकारी नौकरी से मोहभंग होने के बाद प्राईवेट सेक्टर का विकल्प चुना है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब दो लाख रुपए मासिक के पैकेज निजी चिकित्सालयों में मिलने की वजह से सरकारी डॉक्टर्स ने निजी सेक्टर को अपनाया है। इसके अलावा निजी सेक्टर में जिला अस्पताल की तरह वर्कलोड भी नहीं होने से डॉक्टर्स को राहत भी मिल जाती है।
कोविड नोडल की कमान अब डॉ साहू को, एसएनसीयू दो डॉक्टर्स के भरोस
देश में कोविड की आमद के बाद जिले में भी कोविड नियंत्रण के लिए गाइडलाईन के हिसाब से व्यवस्था बनाई गई। जिले में भी कोविड नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए नोडल अधिकारी यहां पदस्थ मेडिकल ऑफिसर डॉ सौरभ राठौर को बनाया गया। डॉ राठौर ने पूरे कोरोना काल में बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई, यहां तक कि वह स्वयं भी कोविड का शिकार हो गए थे। कोविड प्रबंधन को लेकर जिला अस्पताल डॉ राठौर की कार्यशैली से संतुष्ट भी रहा। वहीं दूसरी ओर एसएनसीयू गहन चिकित्सा यूनिट होने की वजह से यहां 24 घंटे डॉक्टर की मौजूदगी होती है। एक डॉक्टर की यहां कमी होने से एसएनसीयू में भी क्लॉकवाईज ड्यूटी संभव नहीं हो पा रही है।
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इनका कहना…
डॉ राठौर के नौकरी से इस्तीफा देने की जानकारी मिली थी, वह जिला अस्पताल में पदस्थ है इसलिए डिटेल सिविल सर्जन ही बता पाएंगे।
डॉ सुरेश बौद्ध, सीएमएचओ, जिला अस्पताल बैतूल
जिला अस्पताल के दो डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया है। इस्तीफा देने के एक महीने पहले इंटीमेशन दिया गया था। डॉ राठौर ने एक फरवरी एवं डॉ धोटे ने 1 मार्च को सरकारी नौकरी छोड़ी।
डॉ अशोक बारंगा, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल बैतूल