Betul Samachar : पिछले वर्ष की अपेक्षा जिले का औसत जल स्तर कम है, लेकिन नलकूप खनन पर प्रतिबंध फिलहाल दूर की बात नजर आ रही है। इसकी मुख्य वजह मौसम में आए बदलाव और जिले में कहीं भी जल संकट जैसे हालात को मानी जा रही है। मौसम में आए बदलाव और पूरे जिले में पिछले 20 दिनों से तेज और रूक-रूककर बारिश हो रही है। इससे फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है, लेकिन जल संकट जैसे हालातों से लोगों को जूझना नहीं पड़ेगा। कुछ ग्रामीण अंचलों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश जगह अभी पर्याप्त पानी मौजूद है। केवल जंगलों की स्थिति खराब कही जा सकती है, लेकिन लगातार बारिश के कारण नदी के पोखर आदि भरने से वन्य प्राणियों का भी शहरी क्षेत्र में फिलहाल आवाजाही नहीं बनी है।
गत वर्ष अप्रैल माह के शुरूआत में ही नलकूप खनन पर जिला प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि इस वर्ष की अपेक्षा पिछले वर्ष अधिक बारिश हुई थी। इसके बावजूद गर्मी के तेवर अधिक होने के कारण प्रशासन ने खनन पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था। इस बार वैसी स्थिति कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है। सरकारी विभाग के अधिकारियों की भी जिला मुख्यालय पर पहुंची रिपोर्ट पर यकीन करें तो दूरस्थ अंचलों में भी जल संकट जैसे हालात नहीं दिखाई दे रहे है। इसी वजह 9 अप्रैल तक जिला प्रशासन ने बोर खनन पर प्रतिबंध के आदेश के बारे में सोचा भी नहीं है। जानकार सूत्र बताते है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में अभी कहीं जल संकट जैसे स्थिति की सूचना नहीं मिलने के कारण किसी भी अनुविभागीय शीर्ष अधिकारी कलेक्टर को इस तरह की सूचना नहीं दी है। हालात नियंत्रण में होने के कारण बोर खनन पर फिलहाल प्रतिबंध की संभावना कम दिखाई दे रही है।
जल स्तर पिछले वर्ष से कम, फिर भी संकट नहीं
एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है कि पिछले वर्ष 1 मार्च की स्थिति का अवलोकन करें तो जिले के दसों ब्लॉक में कुल 21.75 मीटर जल स्तर था। इसी तिथि में इस वर्ष का आंकड़ा देखे तो 18.84 मीटर है। यानी पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 3 मीटर जल स्तर नीचे गया है। यदि 1 अप्रैल की तिथि में देखे तो जल स्तर और नीचे जा सकता है। बावजूद इसके बोर खनन पर प्रतिबंध जैसे हालात निर्मित नहीं हुए है। अभी की स्थिति में शहरी और ग्रामीण अंचलों में पानी की आहट सुनने को नहीं मिली है। जल स्तर गिरने के बावजूद शहरी और ग्रामीण अंचलों के नलों से नियमित अंतराल में पानी आना शुरू है। जिन ग्रामों में नल जल योजना सुचारू चल रही है, वहां भी ग्रामीणों को नियत तिथि पानी उपलब्ध हो रहा है। जानकार सूत्र बताते है कि जनसुनवाई और शिकायतों में भी पानी समस्या के आवेदन नामात्र के आए है। जल स्तर में गिरावट के बावजूद भयाभय स्थिति निर्मित नहीं हुई है।
20 दिन की बारिश ने बदले हालात
विभागीय अधिकारी और जानकार सूत्र बताते है कि मौसम में आए बदलाव के कारण पिछले 20 दिनों से लगातार बारिश, ओलावृष्टि और मौसम में नमी के कारण इस बार राहत मिली है। हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि बारिश, ओलावृष्टि से जल स्तर पर में थोड़ा बहुत सुधार हो सकता है। हालांकि बारिश और ओलावृष्टि का पानी जमीन में ज्यादा नीचे नहीं जाएंगा, इसके लिए बारिश लगातार होना चाहिए, तभी जल स्तर में सुधार होता है। फिर भी कुछ राहत मिलने के कारण ही जिला प्रशासन ने बोर खनन पर प्रतिबंध न लगाकर खनन बंद करने वालों को फिलहाल राहत दे दी है। संभावना दिखाई दे रही है कि अप्रैल माह में शायद ही नलकूप खनन पर प्रतिबंध का आदेश जिला प्रशासन द्वारा लिया जाए। यदि तीखी गर्मी पडऩा शुरू हुई तो ही कोई आदेश सामने आ सकता है।