
Betul Rajniti News: (बैतूल)। राज्य शासन ने भले ही तबादलों से रोक नहीं हटाई है, लेकिन एक विभाग के कुछ माह पहले बैतूल में पदस्थ हुए साहब ने अभी से मलाई खाना शुरू कर दिया है। साहब के बारे में कहा जाता है कि इससे पहले वे सागर सहित बुंदेलखंड के अन्य जिलों में पदस्थ रहे है। यहां भी उनके खिलाफ चार्ज सीट दायर हुई थी। भला बैतूल में एक मंत्री जी और माननीय के हस्तक्षेप के बाद उनकी नियुक्ति हुई हो तो तो आखिर कैसे दम मारे। 1 मई से तबादला खुलने के पहले ही संभावित कर्मचारियों से वे अपने मातहमों के द्वारा गणित जमाने में लगे हुए है। भारी भरकम राशि की डिमांड करना उनकी आदत में शुमार है।
तबादलों के अलावा उन्होंने कुछ जगह हाल ही में निरीक्षण कर नोटिस थमा दिए और इस बहाने लाखों रूपये की डिमांड भी कर डाली है। दोनों ही मामलों में सत्तारूढ़ पार्टी के जनप्रतिनिधियों तक साहब की पुरानी आदत की जानकारी पहुंच गई है। यदि साहब की ऐसी ही वसूली चलते रही तो विधानसभा चुनाव में यह साहब सत्तारूढ़ पार्टी की लूटियां डुबाने में कोई कसर नहीं छोडेंगे। बताते चले कि साहब लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े एक विभाग के प्रमुख है।
ब्रम्ह मुहुर्त में बंगले में शिफ्ट हुए माईक वन
अपनी पदस्थापना के बाद पिछले करीब एक पखवाड़े से सर्किट हाउस में रहने वाले खूफिया तंत्र के प्रमुख ने आखिर नए बंगले में आमद दे दी है। सोमवार को शुभ मुहुर्त में उन्होंने नए बंगले में पूजा अर्चना कर परिवार सहित प्रवेश कर लिया। इससे पहले बंगले का रंग-रोगन माईक वन साहब द्वारा बताए अनुसार किया गया। एक सप्ताह से बंगले के रंग-रोगन और सुधार का कार्य चल रहा था। मातहमों को निर्देश के बाद न सिर्फ अंदर बल्कि बाहर की बाउंड्रीवाल चकाचक हो गई है। अपने बेहतरीन कामों के लिए विभाग में चर्चित साहब के बंगले में शिफ्ट होने से अधिनस्थों को भी कई सरोकार और नई उम्मीदें दिखाई दे रही है। यह इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि पुराने साहब को लेकर विभाग में अलग ही चर्चा चलते रही है, लेकिन नए साहब ने आते ही कई परम्पराओं को बदलने के साथ अपनी वर्किंग से अधीनस्थों का दिल जीत लिया है।
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बड़े मियां, बड़े मियां, छोटे मियां शुभान अल्ला (Betul Rajniti News)
यह कहावत अक्सर गुनगुनाई जाती है। खूफिया तंत्र में जिला मुख्यालय सबसे करीब एक थाने में टीआई के न होने का फायदा एक इंचार्ज और उनके अधीनस्थ एक छोटे साहब निभा रहे है। बड़े साहब का दर्जा सारनी में एक मामले में निपटे तो दूसरे गंज थाने में लंबे समय तक कुंडली बैठाएं जमे रहे। उनसे थोड़े छोटे साहब निभा रहे है। कई मामलों में उनकी कार्यप्रणाली चर्चा में थी कि हाल ही में उनके क्षेत्र में मवेशी के मामले में दूसरे थानेदारों पर अधिकारियों को भरोसा करना पड़ा। तभी कार्रवाई निष्पक्ष होगी। अब खबर आ रही है कि इन्होंने पैतरा जमाते हुए मुख्य तस्कर पर कार्रवाई नहीं की। मवेशी को खेत में छिपाने तक में सहयो दिया गया। इस रैकेट के तार कोलगांव, हथनागिरी तक जुड़े रहने की खबर है। तस्करों से मिलीभगत पर ही छोटे मियां और बड़े मियां चर्चा में है। देखना यह है कि बड़े साहब की इन पर क्या कार्रवाई करते है।