
▪️ आशीष राठौर,शाहपुर
Betul Rajniti Halchal: (बैतूल/शाहपुर)। जिले की आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष से इंकार नहीं किया जा सकता है। यह स्थिति तब बनेगी, जब भाजपा के असंतुष्ट यानी जी-10 के किसी भी नेता को टिकट नहीं मिलती है तो आप का दामन थामकर मैदान में उतर सकते हैं। इसके संकेत पिछले कुछ दिनों से देखने को भी मिले हैं। दूसरी ओर जयस का भैंसदेही के बाद घोड़ाडोंगरी में भी जनाधार बढ़ रहा है, इसलिए भाजपा- कांग्रेस के लिए खतरे के संकेत है।
जिले की सबसे बड़ी विधानसभा का दर्जा अब तक घोड़ाडोंगरी को मिला है। यही वजह है कि यहां पर जीत-हार का अंतर भी अन्य विधानसभा की अपेक्षा अधिक देखा जाता है। गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बह्मा भलावी ने भाजपा की गीता रामजीलाल उइके को करारी शिकस्त दी थी। पहली बार में ही जीत का स्वाद चखने के बाद भलावी कुछ मामलों को लेकर विवादों में भी घिरे, लेकिन उनकी सक्रियता अभी भी बरकरार है। चूंकि विधानसभा चुनाव को महज सात माह का समय शेष बचा है। ऐसे में राजनैतिक दलों ने भी संभावित उम्मीदवारों पर मंथन करना शुरू कर दिया है, इसी वजह चौक-चौराहों से लेकर राजनीतिक गलियारों में भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य पार्टी के उम्मीदवारों को लेकर जमकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। फिलहाल उम्मीदवारों के नामों के बीच घोड़ाडोंगरी से इस बार आप और जयस के मैदान में उतरने से समीकरण गड़बड़ाने की चर्चा है। हालांकि यह स्थिति उम्मीदवारों की घोषणा के बाद पूरी होते दिखाई देगी।
जी-10 के नेताओं पर टिकी नजरें (Betul Rajniti Halchal)
सूत्र बताते हैं कि जी-10 भाजपा का असंतुष्ट गुट है जो लंबे समय से उनके गुट में शामिल दस में से किसी एक को टिकट देने के लिए ताबड़तोड़ बैठकें कर रहे हैं। जिला संगठन जी-10 समूह को बिलकुल तवज्जों नहीं दे रहा है, इसलिए यह समूह दूसरे विकल्प की तलाश कर रहा है। राजनैतिक सूत्रों ने बताया कि भाजपा में अभी केवल एक नाम पर चर्चा चल रही है, लेकिन शेष उम्मीदवारों के नाम पर मंथन नहीं हो रहा है। जी-10 के असंतुष्ट नेता भी टिकट के लिए ताकत लगा रहे हैं। खबर है कि यदि उन्हें टिकट नहीं मिलती है तो वे आप से संपर्क कर चुनाव के पहले दामन थाम सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो भाजपा को आने वाले विधानसभा चुनाव में घोड़ाडोंगरी में कई विपरित परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि दिल्ली और पंजाब मॉडल के आधार पर आदिवासी बाहुल्य विधानसभा में जीत की राह उतनी आसान नहीं रहेगी।
जयस के बढ़ते कदम भी खतरे की घंटी (Betul Rajniti Halchal)
भैंसदेही आदिवासी बाहुल्य विधानसभा चुनाव में जयस ने कुछ माह पहले हुए जिला पंचायत के चुनाव में वार्ड क्रमांक 22 से संदीप धुर्वे की ऐतिहासिक जीत हासिल की है। जीत से न सिर्फ भैंसदेही बल्कि पूरे जिले में संजीवनी मिल गई है। जानकार सूत्र बताते हैं कि भैंसदेही की तरह आरक्षित घोड़ाडोंगरी विधानसभा में भी जयस अपना दमदार उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर चुकी है। यदि ऐसा हुआ तो जी-10 के नाराज होने और जयस के मैदान में उतरने से घोड़ाडोंगरी में मुकाबला चतुष्कोणीय हो जाएगा। कहा जा रहा है कि जयस के कार्यकर्ता दबे पाव घोड़ाडोंगरी के चिचोली और शाहपुर पट्टे में तैयारी में जुट गई है।
कांग्रेस की स्थिति मजबूत, भाजपा में दो के नाम
घोड़ाडोंगरी से जी-10 की नाराज भरी गतिविधियों के बावजूद भाजपा पूर्व विधायक मंगल सिंह उइके पर दाव खेलेगी। यदि उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाने की बात आई तो यहां से सांसद दुर्गादास उइके या पूर्व विधायक स्व.सज्जन सिंह उइके की पत्नी गंगा उइके पर दाव खेल सकती है। कांग्रेस की बात करें तो वर्तमान विधायक बह्मा भलावी पर कांग्रेस दूसरी बार भरोसा कर सकती है। यदि उनकी नाराजगी सामने आई तो घोड़ाडोंगरी जनपद के अध्यक्ष राहुल उइके का नाम सर्वसम्मति से आगे बढ़ाया जा सकता है। उनका भी अपने चाचा और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह उइके कारण क्षेत्र में अच्छा दबदबा है।