Betul News: (बैतूल/भैंसदेही)। अपनी प्राकृतिक विरासत को संजोए पूरे प्रदेश का एकलौता काफी बगान और बैतूल जिले का एकमात्र हिल स्टेशन अपनी अव्यवस्थाओं पर लंबे समय से आंसू बहा रहा है। गाहे-बगाहे इसकी सुंदरता को वापस लाने के प्रयास हुए, लेकिन नाकाफी साबित हुए। इस मर्तबा वन विभाग को राज्य शासन से कुकरू के प्राकृतिक सौंदर्य को वापस लाने के उद्देश्य से रिनेवल के नाम 25 लाख का रुपए का बजट आवंटित हुआ, लेकिन क्षेत्र के डिप्टी रेंजर की निगरानी में चल रहे इस काम पर पलीता लग गया है। घटिया काम की तो चर्चा जिला मुख्यालय तक पहुंच गई है। इसके बावजूद वरिष्ठ अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया है। कहा जा रहा है कि एमपी टूरिज्म बोर्ड से यह बजट वन विभाग को मिला है। हालांकि इसकी डीपीआर अब तक नहीं हुई, लेकिन वन विभाग ने रेस्ट हाउस समेत अन्य काम शुरू कर दिए है।
वर्ष 1906 में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भैंसदेही से लगभग 30 किमी दूर स्थित कुकरू हिल स्टेशन बनाया गया था। कहा जाता है कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान अक्सर कई अफसर यहां आकर समय बीताते थे। धीरे-धीरे कुकरू हिल स्टेशन की ख्याति देश में फैल गई। आजादी के बाद कुकरू के विकास को पंख लगे। धीरे-धीरे विकास कार्य शुरू हुए, लेकिन हिल स्टेशन के हिसाब से यह काम शून्य से भी कम कहे जा सकते हैं। यह बात इसलिए कही जा रही है, क्योंकि विभिन्न प्रदेशों में अन्य हिल स्टेशनों पर रूकने से लेकर अन्य सारी सुविधाएं मौजूद है, लेकिन कुकरू का विकास न होने से इसका प्राकृतिक सौंदर्य केवल चंद घंटे निहारकर पर्यटक वापस लौट जा रहे हैं। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि जिले में एक बड़ा हिल स्टेशन सुविधाओं के अभाव में अपना अस्तित्व खोते जा रहा है।
निर्माण कार्य के नाम पर वन विभाग ने लगाया पलीता
सूत्रों ने बताया कि हिल स्टेशन कुकरू की दुर्दशा को सुधारने के लिए एमपी टूरिज्म बोर्ड से 25 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है। इस राशि में यहां अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बने रेस्टहाउस एवं निर्मित कमरों के साथ स्थानों का रिनिवल वन विभाग को कराना है। साथ ही बाउंड्रीवाल बनाकर इसे सुरक्षित करने का भी जिम्मा दिया गया है। मीडिया की कुछ टीम पिछले दिनों कुकरू पहुंची तो यहां का काम देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि केवल औपचारिकता भर निभाई जा रही है। दरअसल जिस मटेरियल से बाउंड्रीवाल निर्माण एवं रिनिवल का काम किया जा रहा है, यह बेहद घटिया है। इसमें उपयोग की जानी वाली रेत काली है, जो सीमेंट के मिश्रण के साथ मजबूती नहीं दे रही है।
इसलिए रिनिवल केवल औपचारिक बनकर रह गया है। चंद दिनों में बाउंड्रीवाल के्रक मार सकती है तो रिनिवल के काम की भी पोल खुल जाएगी। जिस डिप्टी रेंजर की देखरेख में काम किया जा रहा है, इन पर शीर्ष अधिकारियों द्वारा देखा तक नहीं जा रहा है। वन विभाग का तर्क है कि डीपीआर स्वीकृत नहीं हुई है इसलिए अभी वे खुद ही अपने स्तर पर काम कर रहे हैं। यह तर्क कितना सही है, यह तो विभाग के अधिकारी ही जाने, लेकिन निर्माण कार्य में धांधली का मामला अधिकारियों तक पहुंच गया है।
काफी बगान के भी हालात बदत्तर, सुविधाएं नदारद
वन विभाग ने कई दिनों बाद 25 लाख की राशि आवंटित कर कुकरू की सुंदरता वापस लाने का प्रयास किया है। हिल स्टेशन परिसर में स्थित काफी बगान भी अपनी दुर्दशा सुधारने के लिए खुद ही गुहार लगा रहा है। कहा जा रहा है कि 25 लाख के बजट में काफी बगान का भी सुधार होगा, लेकिन क्या सुधार होगा, यह अफसर नहीं बता पा रहे हैं। अंदर सैलानियों के प्रवेश करते ही हिल स्टेशन जैसी स्थिति दिखाई नहीं देती है। अंदर टूटी फिसलन पट्टी और अन्य सामग्री बरबस ही अपना मुंह चिढ़ा रहे हैं। काफी बगान अव्यवस्थित और बेतरतीब रहने से सैलानियों में भी नाराजगी देखी जा रही है।
- Also Read: Betul Today News: रेलवे स्टेशन पर पे एंड यूज टॉयलेट से मिलेगी मुसाफिरों, रहवासियों को राहत
इनका कहना……
निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ध्यान रखा जा रहा है। यदि रेत खराब है तो हो सकता है कि आसपास की नदियों में रेत नहीं मिली होगी। हम खुद निरीक्षण कर कार्य की गुणवत्ता को देखेंगे।
आशीष कुमार बंसोड़, एसडीओ वन विभाग भैंसदेही
एमपी टूरिज्म बोर्ड ने 25 लाख स्वीकृत किए हैं, लेकिन अभी तक डीपीआर नहीं हुई है। हम अपने स्तर पर रेस्टहाउस का मरम्मत करवा रहे हैं। बाउंड्रीवाल भी जंगली जानवरों से बचाव के लिए खुद निर्माण करवा रहे हैं।
अमित सिंह चौहान, डिप्टी रेंजर कुकरू क्षेत्र।