Betul News:(बैतूल)। कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव है, चुनाव को लेकर राजनीतिक दल पूरी तरह से सक्रिय हो गए है। मैदानी कार्यकर्ताओं से लेकर दिग्गज नेताओं और निकाय से लेकर संसद तक जनप्रतिनिधि अब विधानसभा चुनाव में रंग जमाने की तैयारी में है। यही वजह है कि अबका फागुन पूरे महीने जिले में भी जोश पर रहेगा। होली मिलन समारोहों में या सामाजिक कार्यक्रमों यदि जनप्रतिनिधि या राजनेता नजर आ जाए तो इसे चुनावी रंग जमाने की तैयारी कहा जा सकता है। वैसे भी पिछले वर्ष की तुलना में इस बार जनप्रतिनिधियों की होली आम जनता के साथ ही मनी है। कोई गांव की चौपाल तक पहुंचा तो कोई मिलन समारोहों में गुलाल का टीका लगाता नजर आया। बैतूल जिले के आदिवासी पूरे महीने रंगों के त्यौहार को मनाते है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि फागुन का रंग इस बार आदिवासियों से ज्यादा नेताओं पर चढ़ेगा।
एक महीने तक आदिवासी मनाते है होली
जिले में आदिवासी ग्रामों में एक महीने तक फागुन मनाया जाता है। यहां एक गांव दूसरे गांव को होली खेलने का न्यौता देता है। इसी आधार गांव में मेघनाथ के मेले और जतरा भी लगाई जाती है। गांव की होली में पूरा गांव शामिल होता है, जिसमें बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्गों होली मनाते है। होली पर फगुआ गाया जाता है और फाग भी वसूला जाता है। इस वर्ष चुनावी वर्ष होने के कारण सभी पार्टियों के लोगों में जनता से सीधा सम्पर्क बनाने की होड़ मची है। यही वजह है कि फागुन का लाभ लेने हर पार्टी उत्साहित है। जनसम्पर्क के लिए मेलों में भी नेता पहुंच रहे है।
होली मिलन समारोहों में होने लगी शिरकत
जिले में सामाजिक संगठनों द्वारा होली मिलन समारोह आयोजित किए जाने लगे है। इन समारोहों में भी महिला एवं पुरुष जनप्रतिनिधियों के अलावा पार्टी के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं को व्यवहार निभाते देखा जा सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी के कार्यालयों में भी किस गांव में कब होली है यह चर्चा की जा रही है। इस समय हाल यह है कि यदि किसी आयोजन में नेताओं को आमंत्रित किया जा रहा है तो वह तमाम व्यस्तताओं को दरकिनार कर सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रमों में पहुंच रहे है। फागुन आदिवासियों के लिए खास होता है, इस त्यौहार को आदिवासी नाते-रिश्तेदारों के साथ-साथ अलग-अलग ग्रामों में पहुंचकर मनाते है। यही वजह है कि ग्राम में फागुन पर खासी रौनक होती है। शहरी क्षेत्र से जनप्रतिनिधि और नेता फागुन के मेलों और आदिवासी गांवों में होने वाली होली में शिरकत कर शिष्टाचार निभाने की तैयारी में है। चुनावी वर्ष में विभिन्न पार्टियों के जनप्रतिनिधियों एवं नेताओं का एक माह इस बार आदिवासियों की होली के नाम हो रहा है।