
बैतूल। बैतूल के लिए शर्मनाक स्थिति है कि यहां सत्ता और विपक्ष के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने के बावजूद रेत को लेकर जो हालात निर्मित हुए हैं, इससे सभी की थू-थू हो रही है। इससे शर्मनाक हालात यह है कि जिले के चोपना, शाहपुर और रानीपुर के शासकीय कार्यालय और थानों के सामने से हर दिन लगभग आधा सैकड़ा डंपर बड़ी आसानी से बैतूल आ जा रहे हैं, लेकिन इन्हें न तो पकड़ा जा रहा है और न ही कार्रवाई की जा रही है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेत का खनन करने वालों की साठगाठ कहा तक है।
चर्चा तो यह भी है कि कुछ जनप्रतिनिधियों की रेत के मामले में रूचि के कारण अधिकारी, खनिज विभाग और पुलिस विभाग के जिम्मेदार भी चुप्पी साधे बैठे हैं। माफियाओं की लूट के आगे जिले के हजारों गरीब लोग रेत के लिए मुंह मांगे दाम चुकाकर अपने आप को लूटा महसूस कर रहे हैं।
पीले सोने की तस्करी के लिए बैतूल जिले का नाम प्रदेश में छाया हुआ है। यहां रेत को लेकर अक्सर तकरार की स्थिति निर्मित हुई है। पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह जन प्रतिनिधियों ने भी रेत के कारोबार में रूचि दिखाई, इससे रेत की कीमत भी आसमान छूने लगी है। इसे विडंबना ही कहे कि जब जिले के अधिकारियों ने रेत के ठेके के दौरान राशि मेें शून्य की संख्या बढ़ाकर पूरा ठेका ही निरस्त कर जिले के लोगों को महंगी रेत खरीदने पर मजबूर कर दिया, भले ही अधिकारी निलंबित हो गए हो, लेकिन इसका खामियाजा गरीबों को लूटकर भुगतना पड़ रहा है। हालात यह हो गए हैं कि 2 हजार में मिलने वाला डंपर आज 6 हजार और 15 हजार का डंपर 45 हजार तक पहुंच गया है।
चोपना- शाहपुर क्षेत्र से आसानी से पहुंच रही रेत
जानकार सूत्र बताते हैं कि बैतूल में लगभग पचास से अधिक डंपर रात से लेकर अलसुबह तक बैतूल पहुंच रहे हैं। यहां रेत डंप करने के बाद माफिया गरीबों को बोली लगाकर रेत बेच रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि चोपना, घोड़ाडोंगरी और शाहपुर से 50-60 डंपर रेत बैतूल आ रही है। इसमें बैतूल के रवि, रीतेश, तौफिक के वाहनों को ही लाने की तथाकथित अनुमति देने की खूब चर्चा है। सिवनपाट और डुलारा से रात में छोटू और जुनैद नदी से रेत भरकर उन्हें दे रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जो रायल्टी यहां लगाई जा रही है, यह ललितपुर की है। एक ही रायल्टी पर दो ट्रिप लगाने का काम भी खुलेआम किया जा रहा है।
आखिर किसके दबाव में जिले के अधिकारी
पूरे जिले में चर्चा का विषय है कि हर जगह नदियों में जेसीबी, डंपर उतरकर खुलेआम खनन कर रहे हैं। यह संभव नहीं है कि सत्ता और विपक्ष के लोगों को अवैध खनन की जानकारी न हो। आखिर फिर इस बारे में जनहित के मुद्दें पर सत्ता-विपक्ष के जनप्रतिनिधियों की चुप्पी संदेह को जन्म दे रही है। जिस तरह थाने और शासकीय दफ्तर के सामने से रेत के डंपर निकल रहे हैं, इससे लग रहा है कि किसी जनप्रतिनिधि के दबाव के कारण खनिज, राजस्व और थानों के जिम्मेदार अवैध रेत खनन करने वाले डंपरों पर कार्रवाई नहीं कर रहे।
इनका कहना…
मुझे अवैध रेत के डंपरों के मामलों में जानकारी नहीं है। आज से ही अवैध रेत परिवहन करने वाले डंपरों पर कार्रवाई शुरू करेंगे। मुझ पर कार्रवाई न करने के लिए किसी तरह का दबाव नहीं है।
अनिल सोनी, एसडीएम शाहपुर
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अभी फोरलेन का निर्माण कार्य चल रहा है। यही डंपर थाने के सामने जा रहे हैं। रेत के डंपर जाने की बात निराधार है। वैसे भी डंपर चेक करने का काम खनिज विभाग का है, हमारा नहीं।
शिवनारायण मुकाती, टीआई शाहपुर