Betul News Hospital: (बैतूल)। जिला अस्पताल का बंद पड़ा आईसीयू में एक बार फिर ताला लगने की स्थिति निर्मित हो रही है। सांझवीर टाईम्स ने बंद पड़े आईसीयू के लिए करीब एक वर्ष पहले मुहिम चलाकर इसे शुरू कराने में जो भूमिका निभाई थी, इसे पूरे जिले के गरीब तबके के लोगों ने सराहा था। रेडक्रास समिति से कर्मचारियों को वेतन दिए जाने का निर्णय सांझवीर की खबर के बाद जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने लिया, लेकिन राज्य शासन द्वारा आईसीयू में कार्यरत कर्मचारियों के लिए वेतन दिए जाने को लेकर कोई प्रावधान नहीं किए। इससे रेडक्रास समिति की हालत भी गड़बड़ा गई है। पिछले चार माह से आईसीयू में कार्यरत करीब 13 कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने से उन्होंने कार्य पर जाना बंद कर दिया है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आईसीयू में मरीज न होने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है।
प्रदेश में संभवत: बैतूल जिला चिकित्सालय एकलौता ऐसा होगा, जहां कोरोना काल खत्म होते ही आईसीयू बंद कर दिया गया था। सांझवीर टाईम्स ने गरीबों और आम लोगों के इस मुद्दे पर अपनी जनसरोकार पत्रकारिता के तहत सिलसिलेवार समाचार प्रकाशित किए थे। इसका नतीजा यह हुआ कि करीब 6 एपिसोड के बाद जिले के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने आखिर गत वर्ष जून माह में बंद पड़े आईसीयू को शुरू कर दिया। इसके लिए जिला चिकित्सालय के दो डॉक्टरों की सेवाएं आईसीयू के लिए लगाई गई, जबकि नर्सिंग स्टाफ, वार्डबॉय और सफाईकर्मियों की नियुक्ति रोडक्रास सोसायटी से किए जाने का निर्णय लिया गया था। करीब 13 कर्मचारियों को 2 लाख 10 हजार का वेतन रेडक्रास सोसायटी से लगातार मिलते रहा।
हालात बिगड़े तो वेतन दिया जाना बंद (Betul News Hospital)
सूत्र बताते हैं कि कुछ माह तक रेडक्रास सोसायटी ने आईसीयू में कार्यरत कर्मचारियों को लगातार वेतन दिया, लेकिन पिछले 3-4 माह से वेतन नहीं दिए जाने की जानकारी सामने आई है। आईसीयू में वर्तमान में 6 वार्डबॉय, 4 आया एवं 3 सफाईकर्मी मौजूद है। इन सभी को सात हजार प्रतिमाह के हिसाब से वेतन दिया जाता है। नर्सिंग स्टाफ का वेतन अलग है। नेशनल सिक्यूरिटी के माध्यम से समस्त 13 कर्मचारी आईसीयू में अद्र्धकुशल श्रमिक दर से काम कर रहे हैं, लेकिन करीब तीन माह से उन्हें वेतन नहीं दिया गया है। इससे वे परेशान हो गए। इससे आहत होकर आईसीयू में कार्यरत सफाई कर्मचारियों ने शुक्रवार को सीएमएचओ से मुलाकात कर वेतन दिलाए जाने और जरूरत पडऩे पर अवकाश दिए जाने की मांग की है।
भोपाल रेफर की संख्या कम हुई, जनप्रतिनिधि दे ध्यान
करीब एक वर्ष पहले बंद पड़े आईसीयू के शुरू होने से जिला चिकित्सालय से भोपाल रेफर मरीजों की संख्या बिलकुल कम हो गई है। इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण एक साल के आंकड़े को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। केवल बहुत अधिक गंभीर मरीजों को भोपाल रेफर किया जाता है। इतना जरूर है कि बैतूल चिकित्सालय में सीजर के नाम कुछ महिला चिकित्सक मरीजों को भोपाल रेफर करने का प्रयास कर रही है। यदि यही स्थिति निर्मित हुई तो आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में शुरू हुआ आईसीयू बंद होने की कगार पर पहुंच जाएगा, इससे गरीब लोगों की जेब पर सीधी मार पड़ेगी। जिले के जनप्रतिनिधियों से सांझवीर टाईम्स जनहित के इस मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह करता है।
इनका कहना…
आईसीयू अभी बंद नहीं हुआ है। अभी मरीजों की संख्या कम है, इसलिए ऐसा लग रहा होगा। कर्मचारियों को वेतन देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ.अशोक बारंगा, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल बैतूल।