Betul News: (बैतूल)। इस समय शहर में निर्माण कार्यों ने गति पकड़ ली है। हर वर्ष जनवरी के बाद ही निर्माण कार्यों में तेजी आने का पेंच समझ से परे हैं, लेकिन गर्मी में सीसी सड़क, नालियों का निर्माण गले नहीं उतर रहा है। इस बीच शहर की पुरानी सड़कों पर नजर दौड़ाए तो आधे से अधिक सड़कें ऐसी हैं, जिनका वारंटी पीरियड खत्म नहीं हुआ है, दम तोड़ चुकी है। जिन वार्डों में जागरूक लोग खराब सड़क के लिए नगरपालिका के अधिकारियों के पास शिकायत लेकर पहुंचे, यहां पेंच वर्क कर ठेकेदार ने लीपापोती कर दी। जिन वार्डों में लोग जागरूक नहीं है, यहां पूरी सड़कों ने दम तोड़ दिया है। संबंधित वार्ड के उपयंत्री देखने जाने की जहमत तक नहीं उठाए। ऐसे में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और नगरपालिका के अधिकारियों की परेशानियां बढ़ रही हैं।
शहर की जनता द्वारा दिए जा रहे टैक्स और राज्य शासन के विशेष मद से बैतूल नगरपालिका ने हर वार्ड में डामरीकृत और सीसी सड़क बड़े पैमाने पर बनाई है। इनमें से 70 प्रतिशत सड़कें निर्धारित वारंटी के पहले ही उखड़कर बर्बाद हो जा रही है। ताज्जुब की बात यह है कि इस 70 प्रतिशत सड़कों में अधिकांश की हालत ऐसी है कि 3 से 5 वर्ष बनी हुई कह पाना मुश्किल है। शहर में जिस तरह निर्माण कार्य पूर्व में हुए हैं, इनकी निगरानी करने वाले आम लोगों के निशाने पर है। दरअसल सड़कों की बखिया उधडऩे से हर वार्ड में नाराजगी बढ़ते जा रही है। इधर नगरपालिका पुरानी सड़कों को छोड़ अभी नए पर ध्यान दे रही हैं। इसी वजह शहर में बनी पुरानी सड़कें मरम्मत की राह देख रही है।
भारी वाहन निकलते ही खुल रही पोल
पिछले पांच वर्षों में से दो वर्ष शहर में बिना नगरपालिका अध्यक्ष के बीत गए। चुनाव नहीं होने के कारण प्रशासक ने ही जिम्मेदारी संभाली, लेकिन इतना ध्यान नहीं दे पाए कि शहर में बनाई गई सड़कें दम तोड़ते जा रही है। सात माह पहले सरकार तो बनी, लेकिन पुरानी सड़कों पर ध्यान नहीं दिया गया। स्थिति सड़क बनने के बाद से ही बदहाली के लिए आंसु बहा रही है। भारी वाहनों के निकलते ही शहर के 33 वार्डों में बनाई गई डामरीकृत सड़कों के हालात बुरे हाल हो गए। कहीं बड़े गड्ढें हो गए हैं तो कहीं सड़क क्रेक मारने के कारण खस्ताहाल हो गई है। इसी खस्ताहाल सड़क पर वाहन हिचौले मारकर चल रहे हैं।
जिनकी जवाबदारी, वे ही मोड़ रहे मुंह
खस्ताहाल सड़कों की वांरटी के बावजूद सड़कों की मरम्मत न किया जाना कई सवाल खड़े कर रहा है। कहने को तो शहर के 33 वार्डों में 11-11 वार्डों का जिम्मा तीन उपयंत्रियों को सौंपा गया है, लेकिन उपयंत्री इन वार्डों की खस्ताहाल सड़क से रोज गुजरते हैं फिर भी ठेकेदार को नोटिस को नोटिस देने का प्रयास तक नहीं हुआ। जिन वार्डों से शिकायतें आई वहां पर सड़क की मरम्मत कर औपचारिकता निभा ली। अधिकांश वार्डों में डामरीकृत और सीसी सड़क भी एक या दो वर्षों में खराब हो चुकी है।
नेतानुमा ठेकेदारों ने फेरा अरमानों पर पानी
पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदारों में नेताओं की बाढ़ आ गई है, पूरे शहर का बेड़ागर्क हो गया है। सड़क, आरसीसी नाली, बाउंड्रीवाल, घाट निर्माण से लेकर अधिकांश काम बैतूल शहर में 90 प्रतिशत काम नेतानुमा ठेकेदारों ने किए हैं। स्वाभाविक है कि इनकी पहुंच ऊपर तक है, इसलिए नगरपालिका के जिम्मेदार भी इन पर कार्रवाई करने से बचते हैं। इसी का नतीजा है कि शहर में खस्ताहाल सड़कों की भरमार होते जा रही है। इन नेताओं में भाजपा – कांग्रेस के चर्चित चेहरे भी शामिल हैं, जिन्होंने शहर के निर्माण कार्य में अपना जेब भरने के लिए जनता के साथ बेहुदा मजाक किया है।
इनका कहना….
यहां दो स्थितियां हैं। पहली यह कि भ्रमण के दौरान सड़क खराब मिले तो मरम्मत का प्रस्ताव बनाया जाता है। दूसरा यह कि जनप्रतिनिधि और लोगों की शिकायत पर भी प्रस्ताव बन जाते हैं। यदि आपके संज्ञान में वारंटी वाली सड़क के खराब होने की जानकारी है तो हमें बताइए तो हम इसकी मरम्मत करवाएंगे।
अक्षत बुंदेला, सीएमओ नपा बैतूल।