Betul Nagar Palika: (बैतूल)। जिला मुख्यालय की नगरपालिका में भले ही नगर सरकार ने कामकाज संभाल लिया हो, लेकिन कमिशन प्रणाली खत्म नहीं होने का नाम ले रही है। दूसरी ओर अधिकांश पार्षद या उनके पति खुद ठेकेदारी लिप्त होने की वजह से कामों की गुणवत्ता पर भी अक्सर वार्ड के लोग ही सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में भाजपा शासित नगरपालिका के पार्षद भी कटघरे में आ खड़े हुए हैं। इसकी एक बानगी हाल ही में देखने को मिली है। जब नगरपालिका ने टैगौर वार्ड में बनने वाली सड़क का एक टेंडर लोहे के दामों में अंकीय त्रुटि के कारण निरस्त कर दिया गया, जबकि सूत्र दावा कर रहे हैं कि यह करीब के ही एक ठेकेदार पार्षद को टेंडर दिलाने के लिए टेंडर रिकॉल किए गए हैं। इस बात में कितनी सच्चाई है अब जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
सूत्र बताते हैं कि शहर के 33 वार्ड में से साठ प्रतिशत से अधिक वार्डों में या तो खुद पार्षद या उनके पति ठेकेदारी कर रहे हैं। एक लाख से कम के काम नगरपालिका खुद अपनी मर्जी से दे सकती है। ऐसे में पार्षद या पार्षद पति की लॉटरी लगना तय है, लेकिन एक लाख से अधिक के काम की बात करें तो शासन के नियमानुसार टेंडर निकालना अनिवार्य है। सूत्रों की माने तो इन टेंडरों में मिलीभगत का खेल लंबे समय से चला आ रहा है। इसी वजह शहर में गुणवत्तायुक्त सड़क, सीसी सड़क, आरसीसी नाली निर्माण, बाउंड्रीवाल निर्माण के काम देखने लायक है।
लोगों की नाराजगी कई बार आ चुकी है सामने (Betul Nagar Palika)
जानकार बताते हैं कि सभी निर्माण कार्यों की एक से लेकर पांच साल तक की वारंटी रहती है। बैतूल नगरपालिका में पिछले कुछ समय से देखने में आ रहा है कि समय के पहले ही सड़कें खस्ताहाल हो जा रही है तो नालियां उखड़कर पानी सड़कों पर फेंक रही है। इसी बात की नाराजगी क्षेत्र के नागरिकों में देखी जा सकती है। चूंकि कई वार्डों में पार्षद ही ठेकेदार है, ऐसे में उनकी शिकायत करना वार्डों में रहने वाले लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है, इसलिए सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई में इस तरह की शिकायतों की भरमार देखी जा सकती है। ठेकेदार पार्षदों के विरूद्ध मोर्चा खोलना कई बार वार्ड के लोगों के लिए भी मुसीबत भरा हो जाता है। कई वार्डों में वारंटी के पहले खस्ताहाल सड़क की मरम्मत तक नहीं की जाती है। ऐसे ही मुद्दें चुनाव में पार्टियों के लिए मुसीबत बन जाते हैं।
चैन सिस्टम ने बिगाड़े और हालात (Betul Nagar Palika)
सूत्र बताते हैं कि कई पार्षद खुद ठेकेदार है। ऐसे में उनकी किरकिरी न हो, इसलिए दूसरों के नाम टेंडर डालकर ठेका मिलने पर खुद मौके पर पहुंच जाते हैं। इसके बाद वास्तविकता सामने आती है कि निर्माण कार्य पार्षद खुद करा रहा है। ऐसे हालात पिछले कुछ वर्षों से अधिक देखने को मिल रहे हैं जब चैन सिस्टम से किसी और के नाम टेंडर डालकर पार्षदों द्वारा ठेका लेना आम बात हो गई है, ताकि गुणवत्तायुक्त काम न होने पर पार्षद भी बच सके।
एक सड़क के लिए बदल गए नियम
सूत्र बताते हैं कि टैगौर वार्ड के हाउसिंग बोर्ड में गुप्ता शॉपिंग माल से गुरुद्वारा रोड 1 करोड़ की डामरीकृत सड़क बनना था। इसके टेंडर हुए काफी दिन हो चुके हैं, लेकिन काम शुरू नहीं किया गया है। सूत्र बताते हैं कि टेंडर होने के वाबजूद लोहे के दामों में अंकीय त्रुटि कई माह बाद सामने आई। अचानक नगरपालिका ने उक्त टेंडर निरस्त कर रिकॉल कराने का निर्णय लिया। इधर जानकार सूत्र बताते हैं कि एक ठेकेदार-पार्षद की इस सड़क को बनाने में रूचि थी, इसलिए उनकी आपत्ति के बाद टेंडर रिकॉल किया गया है। यह पार्षद पूर्व में ठेकेदारी करने के अलावा डंपर के संचालक भी थे। सूत्रों के अनुसार उनके दबाव में ऐसा किया गया है तो अधिकारी खुद कटघरे में आ खड़े हुए हैं।
इनका कहना…..
– उक्त सड़क के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे, तभी लोहे की संख्या में गलती हुई थी। इसी कारण टेंडर रिकॉल करना पड़ रहा है। इस सड़क के लिए दोबारा टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे।
नीरज धुर्वे, एई नपा बैतूल।