Betul Machna News : (बैतूल)। बीते एक साल से लगातार बैतूल की लाइफलाइन माचना नदी को पुनर्जीवित करने की मुहिम चला रहे युवाओं के संगठन ग्रीन टाइगर्स की मेहनत पर शहरवासी पानी फेर रहे हैं, फिर चाहे वो आम हो या खास सब के सब माचना को प्रदूषित करने में भागीदार नजर आते हैं ।
5 जून 2022 के दिन पर्यावरण मित्र ग्रीन टाइगर्स की जूझारू टीम ने माचना नदी पुनर्जीवन अभियान शुरू किया था। नदी के किनारे 21000 फलदार पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इस अभियान में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी ग्रीन टाइगर्स के साथ आया और एक साल तक इस अभियान में मदद का वादा किया। ग्रीन टाइगर्स ने बरसाली से शुरुआत कर ,काजी जामठी, लाखापुर, बाजपुर, मलकापुर, बैतूल और बैतूल के आगे तक आम, जामुन, करंजी, अर्जुन, गुलहर, नीम, पीपल, रीठा आदि के पौधे रोपित करने की शुरुआत कर दी जो अब भी जारी है। गौरतलब है कि नदी के किनारों पर जितने अधिक पेड़ होंगे नदी उतनी ही सुरक्षित ,स्वच्छ और सदानीरा रहेगी ।
ग्रीन टाइगर्स को इस भगीरथ प्रयास के बदले कोई पगार नहीं मिल रही है। यह अभियान माचना नदी को बचाने का एक भावनात्मक प्रयास है , लेकिन ग्रीन टाइगर्स की इस मुहिम के सामने सबसे बड़ी समस्या है सिंगल यूज प्लास्टिक और इंडस्ट्रियल वेस्ट का कचरा जिसकी वजह से रोपित पौधे भी दम तोड़ रहे हैं ।
माचना को पुर्नजीवित करने में लोग भागीदार बने (Betul Machna News)
ग्रीन टाइगर्स के तरुण वैद्य के अनुसार ग्रीन टाइगर्स टीम माचना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। माचना नदी की सफाई के दौरान रोजाना दो से तीन क्विंटल पन्नियां और सिंगल यूज प्लास्टिक नदी के तटों और बहाव क्षेत्र से एकत्रित किया जा रहा है। कचरा हटाने के बाद नदी के किनारों पर फलदार पौधे रोपे जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोग पौधों का संरक्षण तो दूर की बात उल्टे वहां दोबारा कचरा फैलाने पहुंच जाते हैं, जिससे पौधों को बचाना ही बड़ी चुनौती बन जाती है।
जनसुनवाई और सीएम हेल्पलाइन में कई शिकायत बेअसर (Betul Machna News)
ग्रीन टाइगर्स की ओर से जनसुनवाई में कलेक्टर से मिलकर माचना नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने का मुद्दा उठाया गया, जिस पर उन्हें आश्वासन भी मिला, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ । इसके साथ सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की गई, लेकिन शिकायत बेनतीजा साबित हुई। जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार की उदासीनता माचना नदी का दम घोंट रही है।
माचना नदी के किनारों पर कचरा फेंकने और विसर्जन पर रोक लगाने की जरुरत
आम तौर पर लोग नदियों में पूजा पाठ की सामग्री पन्नी में भरकर प्रवाहित कर देते हैं। त्यौहारों के दौरान तो नदियों में विसर्जन और कचरा फेंकने का ग्राफ काफी बढ़ जाता है, लेकिन लोग यह नहीं समझते कि अपने घर का कचरा नदी में फेंककर वो अपने घर को पवित्र बना रहे हैं। नदी उनकी जीवनरेखा है और फेंके गए कचरे से नदी में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इस दिशा में प्रशासन को देखना चाहिए कि नदी में केवल मिट्टी से बनी देव प्रतिमाओं का विसर्जन हो , प्लास्टिक और कचरे का नहीं।
ग्रीन टाइगर्स की अपील ,माचना को बचाने में भागीदार बने शहरवासी
पिछले एक साल से माचना नदी को बचाने में जुटे ग्रीन टाइगर्स ने शहरवासियों से अपील की है कि हर नागरिक अपना कर्तव्य निभाए और जीवनदायिनी मां माचना को बचाने और पुनर्जीवित करने में अपना सहयोग प्रदान करें। इसके लिए उन्हें करना सिर्फ इतना है कि नदियों के तटों पर पर सिंगल यूज प्लास्टिक, डिस्पोजल, पन्नियां नहीं फेंके। पूजा पाठ की सामग्री को नदी में प्रवाहित करने की बजाय अन्यत्र फेंका जाए। नदी किनारे पूजा अनुष्ठान करने जाएं तो वहां एक फलदार पौधा रोपित करें और उसकी सुरक्षा का संकल्प लें। नदी किनारे कपड़े धोने ,साबुन सिर्फ का इस्तेमाल करने से बचें । इसके अलावा अंत्येष्टि अथवा पूजा की सामग्री नदी में प्रवाहित करने से पहले जरूर देखें कि उसमें कहीं प्लास्टिक या पन्नी का कचरा तो नहीं है, जिससे नदी को नुकसान हो।
सांझवीर टाईम्स मां माचना को बचाने की मुहिम में ग्रीन टाइगर्स के साथ है और हर उस व्यक्ति के साथ है जो जीवनदायिनी माचना को पुनर्जीवित करने में सहयोग करेगा । ग्रीन टाइगर्स के मिशन को समझें, क्योंकि माचना नदी को बचाने में उनका कोई निजी स्वार्थ नहीं है बल्कि इससे माचना सदानीरा बनेगी और आने वाली कई पीढिय़ों की प्यास बुझाएगी।