Betul IPL News: (बैतूल)। जिले में नंबर दो की हैसियत रखने वाले एक साहब के बदले-बदले तेवर इन दिनों सूर्खियां बटोर रहे हैं। वैसे साहब के बारे में कहा जाता है कि वे काफी कड़क मिजाज के है, लेकिन कुछ दिनों से उनके तेवर में खासी नरमी आई है। इसके पीछे क्या कारण है, यह तो उनको करीब से जानने वाले ही बता पाएंगे। वैसे पंचायतों में सीधा रसूख रखने वाले यह साहब अपने अधीनस्थों पर पिछले कुछ वर्षों से ऐसी नकेल कसी है कि उनका नाम सुनते ही महकमे में पदस्थ कर्मचारियों की पेंट तक ढीली हो जाती थी।
अपने कार्यकाल में साहब ने कई को निलंबित कर कइयों के खिलाफ जांच भी बैठा दी। कई मामले ऐसे है, जिनकी आज भी जांच चल रही है। साहब के नाम से भय खाने वाले इस समय राहत की सांस लिए हुए कि साहब की नाराजगी का कोपभाजन कई दिनों से किसी को नहीं बनना पड़ा। साहब के बदले सुर से स्टाफ और गांव सरकार में भी अभी राहत है। चलते-चलते बता दें कि इन साहब का दफ्तर बड़े साहब के दफ्तर से लगा हुआ है।
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आईपीएल की चकाचौंध में पुलिस के हाथ खाली (Betul IPL News)
आईपीएल शुरू हुए एक पखवाड़ा से भी अधिक का समय बीत चुका है। इसके बावजूद पुलिस के हाथ खाली ही है। पिछले दस वर्षों के बाद ऐसा मौका आया है जब आईपीएल की चकाचौंध के बीच खिलाडिय़ों को फ्रंट फुट पर खेलने का मौका मिल रहा है, लेकिन पुलिस के हाथ खाली ही दिखाई दे रहे हैं। कहने को तो जिले भर में दो दर्जन से अधिक नामी आईपीएल खबाड़ ताबड़तोड़ बैटिंग कर रहे हैं, किंतु इन तक पुलिस का हाथ नहीं पहुंचा है।
बोलचाल की भाषा में पुलिस के हाथ काफी बड़े रहने की चर्चा रहती है, फिर भी आईपीएल के मंझे हुए खिलाडिय़ों के लिए बड़े हाथ भी बौने साबित हो गए। चर्चा तो यह भी है कि आईपीएल के कुछ बड़े खिलाड़ी पर्दें के पीछे रहकर गुपचुप बैटिंग कर रहे हैं। नए साहब की आमद के बावजूद जिस तरह आईपीएल के बुकियों को वरदहस्त दिया जा रहा है, इसकी पूरे जिले में खासी चर्चा है। दावा यह भी किया जा रहा है कि आईपीएल पर लाखों का दांव खेला रहा है, फिर पुलिस के हाथ खाली कैसे?
आखिर तीन वर्ष में कहां से आया दो ट्रक सामान?
वैसे तो खुफिया विभाग में बख्शीश का चलन पुराना है। भले ही यह बात सार्वजनिक नहीं हो पाती है, किंतु यदि इसकी मात्रा अधिक हो तो चर्चा होना स्वाभाविक है। हाल ही में खुफिया तंत्र के एक अधिकारी का जिले से तबादला हुआ। तबादला सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन साहब के बारे में कहा जाता है कि तीन वर्ष पहले जब उन्होंने जिले में आमद दी थी तो मिनी ट्रक में छुटमुट सामान बंगले पर उतारा गया था। तीन वर्ष बाद साहब का एक बड़े शहर तबादला हुआ तो दूसरे ही दिन से बंगले में सामान समेटना शुरू हो गया।
कुछ दिनों में एक ट्रक साहब के बंगले से गया तो देखने वालों ने सामान्य प्रक्रिया मानी, लेकिन कुछ दिनों में एक अन्य बड़ा ट्रक बंगले के बाहर सामान भरते दिखाई तो लोगों का आश्चर्य होना स्वाभाविक है। एक मिनी ट्रक महज तीन वर्षों में दो बड़े ट्रक में परिवर्तित कैसे हो गया? इस बात की चर्चा महकमे से लेकर आम लोगों में भी है। विभाग और आम लोग भी एक मिनी ट्रक के दो बड़े ट्रक में परिवर्तन होने के टिप्स एक दूसरे से पूछकर जमकर चटकारे लगा रहे हैं।