
बैतूल। मासूम बालिकाओं की सुरक्षा के मामले में बैतूल जिला कितना संवदेनशील है यह आकड़ों से उजागर हो रहा है। वैसे तो यहां दुराचार के मामले उजागर होते रहे है, लेकिन मासूम बालिकाओं से दुराचार के मामलों की जो तस्वीर आकड़ों से उजागर हो रही है वह भयावह तो है ही, साथ ही जिले को शर्मसार करने वाली भी है। जिला जेल में वर्तमान में कैद बंदियों में करीब आधे मामले ऐसे है जिसमें आरोपी या सजायाफ्ता बंदी दुराचार के प्रकरणों में सलाखों के पीछे है। जिले में इस तरह की घटनाएं जहां कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रही है, वहीं बालिकाओं की चिंता को लेकर भी गैरजिम्मेदाराना रवैया सामने आ रहा है।
स्कूलों में गुड-टच, बेड टच का पाठ पढ़ाया तो जा रहा है, लेकिन जागरुकता की यह पाठशाला भी बालिकाओं की सुरक्षा के लिए असरदार साबित नहीं हो रही है। इस तरह बढ़ते महिला अपराधों को लेकर जागरुक नागरिकों का कहना भी यही है कि सजा मिलने में होने वाली देरी की वजह से अपराधियों में खौफ नहीं है, जिससे बार-बार इस तरह के अपराधों की पुनरावृत्ति होती है।
हैवानों ने छीना लिया मासूमों का बचपन
जिला जेल में वर्तमान में 481 बंदी है, जिनमें 29 महिलाएं शामिल है। इन बंदियों की कुल संख्या में सबसे बड़ा ग्राफ उन बंदियों का है जो 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के साथ दुराचार मामले में या तो विचाराधीन बंदी है या फिर सजायाफ्ता। ये समाज के वीभत्स चेहरें को उजागर करने वाला ग्राफ है। 481 विचाराधीन एवं सजायाफ्ता बंदियों में 148 ऐसे बंदी है जो या तो दुराचार, पास्को एवं दुराचार के मामले में पास्कों एक्ट एवं धारा 376 के तहत या तो विचाराधानी है या फिर सजायाफ्ता। जिले में पिछले कुछ वर्षों में ढाई वर्ष से लेकर 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के साथ दुराचार के मामले बढ़े है।
नाबालिग बालिकाओं के साथ दुष्कर्म से सहमा जिला
जिला जेल के 148 बंदियों में से 92 मामले ऐसे है जिनमें 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के साथ दुराचार हुआ है, वहीं 56 बंदी दुराचार के मामलों में जिला जेल में है। जिला जेल से प्राप्त जानकारी के अनुसार 148 बंदियों में 30 बंदी सजायाफ्ता है और 118 विचाराधीन है। इन मामलों में वह बंदी जिनका अपराध सिद्ध हो चुका है उन्हें करीब दस साल की सजा मिली है। यह आकड़े बताते है कि जिले में बालिकाएं असुरक्षित है। बैतूल दुष्कर्म के मामलों की वजह से बार-बार शर्मसार होता रहा है।
दुष्कर्मियों का साथ देने में महिलाएं भी नहीं पीछे
आमतौर पर महिला अपराधों में घरेलू हिंसा, मारपीट, दहेज या अन्य मामलों में महिलाओं की भूमिका आम बात है, लेकिन दुष्कर्म के मामलों में भी महिलाओं का साथ देना समाज के बदलते परिदृश्य को उजागर कर रहा है। जिला जेल में वर्तमान में बद 481 बंदियों में 29 महिला बंदी भी शामिल है। गौरतलब है कि उक्त 29 महिला बंदियों में 4 महिला बंदियों ने दुराचार के मामलों में सहयोगी की भूमिका निभाई है। दुष्कर्म जैसे मामलों में भी महिलाओं की सहभागिता चिंतित करने वाली है। बहरहाल जिले में बढ़ते महिला अपराधों में कमी लाने के लिए सिर्फ पाठशालाओं में जागरुकता की क्लास चलाने से काम नहीं चलेगा, कानून व्यवस्था में सख्ती और सख्त सजा भी जरुरी है।
इनका कहना…
जिला जेल में वर्तमान में दुराचार के मामले में 148 बंदी है, इनमें से पास्को एक्ट एवं दुराचार के मामले में 92 बंदी है, इनमें ज्यादातर विचाराधीन बंदी है।
योगेन्द्र पंवार, उप अधीक्षक, जिला जेल बैतूल